जानें मंत्र और पूजा विधि
Vijayadashami, (आज समाज), नई दिल्ली: दशहरा या विजयादशमी का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इसी दिन मां दुर्गा ने महिषासुर नामक दानव का संहार किया था और लोगों को असत्य और पाप से मुक्ति दिलाई थी। साथ ही, भगवान राम ने लंका में रावण पर विजय प्राप्त की थी। इसलिए इस दिन रावण दहन की परंपरा शुरू हुई।
इसे देखकर हम सीखते हैं कि सच्चाई और धर्म की हमेशा जीत होती है। दशहरे के दिन लोग अपने घर और समाज में सकारात्मक ऊर्जा फैलाने के लिए पूजा, भोग और मंत्रों का पाठ करते हैं। यह पर्व बच्चों और बड़ों दोनों के लिए उत्साह और श्रद्धा का समय होता है। लोग इस दिन मेलों, सजावट और रावण दहन कार्यक्रमों का आनंद भी लेते हैं।
इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा
- पहला शुभ मुहूर्त सुबह: 10:40 से 11:30 तक
- दूसरा शुभ मुहूर्त: सुबह 11: 45 से 12:32 दिन तक (अभिजीत मुहूर्त)
पूजा विधि
- दशहरे के दिन सबसे पहले स्वच्छ स्नान करें और मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें।
- इसके बाद भगवान श्री राम का जलाभिषेक करें।
- पंचामृत और गंगाजल से उनकी आराधना करें।
- उसके बाद राम जी को पीले चंदन और पीले फूल अर्पित करें और मंदिर में घी का दीपक जलाएं।
- पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान श्री राम और श्री हरि विष्णु की आरती करें।
- तुलसी के पत्तों समेत भोग अर्पित करें और अंत में क्षमा प्रार्थना करें।
श्रीराम मंत्र और लाभ
- ॐ दाशरथाये विद्महे सीता वल्लभाय धीमहि, तन्नो राम प्रचोदयात॥
लाभ
- यह मंत्र मन की शांति और बुद्धि को बढ़ाता है। यह ऊर्जा का संतुलन बनाए रखता है और भगवान राम से जीवन में सही दिशा दिखाने की शक्ति देता है।
श्री राम जी की आरती
- श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।। - कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।। - भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।। - सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।। - इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।। - मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।। - एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।
दोहा
- जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।
श्री राम जी को प्रसन्न करने के मंत्र
- ॐ श्री रामाय नम:।
- श्री राम जय राम जय जय राम।
- ॐ ह्रां ह्रीं रां रामाय नम:।
- ॐ राम ॐ राम ॐ राम ह्रीं राम ह्रीं राम श्रीं राम श्रीं राम – क्लीं राम क्लीं राम। फट् राम फट् रामाय नम:।
- ॐ आपदामप हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम, लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम। श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नम:।