उत्पन्ना व्रत करने से मिलती है प्रभु श्री हरि की कृपा
Utpanna Ekadashi Puja Time, (आज समाज), नई दिल्ली: आज मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है। इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन व्रत करने से प्रभु श्री हरि की विशेष रूप कृपा प्राप्त होती है। इस माह में यह व्रत 15 नवंबर यानी की आज किया जाएगा। हम आपको बताने जा रहे हैं कि एकादशी के दिन किस समय में आपको पूजा-पाठ या किसी भी प्रकार के शुभ कार्य को करने से बचना चाहिए। राहुकाल के समय में किसी भी तरह का शुभ कार्य करना या पूजा-पाठ करना शुभ नहीं माना जाता है। ऐसे में उत्पन्ना एकादशी के दिन राहुकाल का समय कुछ इस प्रकार रहने वाला है।

राहुकाल का समय

सुबह 9 बजकर 25 मिनट से सुबह 10 बजकर 45 मिनट तक। ऐसे में आपको इस समय में पूजा-पाठ या किसी भी तरह के शुभ कार्य को करने से बचना चाहिए, वरना आपको उस कार्य का शुभ परिणाम प्राप्त नहीं होता।

इस समय में करें पूजा

  • अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट से
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 1 बजकर 53 मिनट से दोपहर 2 बजकर 36 मिनट से
  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 5 बजकर 27 मिनट से शाम 5 बजकर 54 मिनट से

इस तरह प्राप्त करें विष्णु जी की कृपा

उत्पन्ना एकादशी की पूजा में भगवान विष्णु को पीला चंदन और पीले रंग के पुष्प अर्पित कर सकते हैं। इसके साथ ही प्रभु श्रीहरि के भोग में तुलसी दल भी जरूर शामिल करें। लेकिन साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि एकादशी के दिन तुलसी तोड़ने की मनाही होती है, ऐसे में आप एक दिन पहले भी तुलसी के पत्ते उतारकर रख सकते हैं। इसके साथ ही एकादशी की पूजा में विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करना भी काफी शुभ माना गया है।

करें इन मंत्रों का जप

  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:
  • ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात्
  • मङ्गलम् भगवान विष्णु:, मङ्गलम् गरुणध्वज:।
    मङ्गलम् पुण्डरी काक्ष:, मङ्गलाय तनो हरि:॥
  • शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
    विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
    लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
    वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥