• आंतरिक शक्ति को बढ़ाता है नियमित ध्यान व सुदर्शन क्रिया का अभ्यास

आज समाज नेटवर्क, रेवाड़ी:

Workshop by The Art of Living Institute: द आर्ट ऑफ लिविंग संस्था की ओर से गढ़ी बोलनी रोड स्थित सोसायटी में अपने आंतरिक सामर्थ्य और कमजोरियों को जानना विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई।

आत्म-जागरूकता के महत्व

इस सत्र का संचालन आर्ट ऑफ लिविंग के प्रशिक्षक ब्रहृमप्रकाश भारद्वाज ने किया। उन्होंने आत्म-जागरूकता के महत्व पर बल देते हुए बताया कि जब हम अपनी आंतरिक कमजोरियों को पहचानते हैं, तो हमें उन्हें दूर करने की शक्ति भी प्राप्त होती है। मस्तिष्क में यदि सकारात्मक रूप से प्रशिक्षित हो, तो हमारा सबसे बड़ा मित्र बन जाता है, परंतु यदि इसे अनियंत्रित छोड़ दिया जाए, तो यह हमारा सबसे बड़ा शत्रु भी बन सकता है।

आंतरिक शक्ति को बढ़ा सकते हैं Workshop by The Art of Living Institute

उन्होंने बताया कि नियमित प्राणायाम, ध्यान और सुदर्शन क्रिया के अभ्यास से हम अपनी आंतरिक शक्ति को बढ़ा सकते हैं और कमजोरियों से बाहर ला सकते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि हमें खुश या दुखी करने वाला हमारा स्वयं का मन ही है, और अंतत: हम स्वयं ही अपनी भावनाओं और अनुभवों के उत्तरदायी होते हैं।

इस मौके पर भाग लिया Workshop by The Art of Living Institute

कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों ने प्राणायाम और ध्यान का प्रत्यक्ष अनुभव किया और सभी ने अपने मन में शांति, स्थिरता और सुकून की अनुभूति साझा की। इस मौके पर संस्था के प्रशिक्षक प्रवीण कुमार, उर्मिला भारद्वाज, प्रमिला और दिव्या भारद्वाज ने भी भाग लिया। सोसायटी के निदेशक त्रिलोक शर्मा का कार्यशाला के आयोजन हेतु धन्यवाद किया।

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