जानिए महत्व और परंपरा
Bhai Dooj, (आज समाज), नई दिल्ली: भाई दूज एक विशेष पर्व है जो भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए प्रार्थना करती हैं, जबकि भाई उन्हें उपहार और आशीर्वाद देते हैं। इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है, जो यमराज और उनकी बहन यमुना की कथा से जुड़ा है।

तिलक के लिए शुभ समय अवधि

  • अभिजित काल: सुबह 11:43 बजे से दोपहर 12:28 बजे तक
  • अमृत काल: शाम 06:57 बजे से रात्रि 08:45 बजे तक

यम द्वितीया का महत्व

भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है, क्योंकि इसका संबंध यमराज और उनकी बहन यमुनाजी की कथा से जुड़ा है। प्राचीन मान्यता के अनुसार, यमराज अपनी बहन यमुनाजी के घर उनके सम्मान और स्नेह का आदर करने गए थे। यमुनाजी ने उन्हें तिलक किया, आरती उतारी और भोजन कराकर अपने प्रेम और सेवा का भाव दिखाया।

इस पर यमराज ने वचन दिया कि जो भाई अपनी बहन को इस दिन बुलाकर तिलक और भोजन कराएगा, उसकी बहन हमेशा सुरक्षित, सुखी और समृद्ध रहेगी। इस वजह से भाई दूज को यम द्वितीया कहा गया और यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते में सुरक्षा, स्नेह और आशीर्वाद का प्रतीक बन गया।

बहनों की भूमिका और पर्व की परंपरा

भाई दूज पर बहन अपने भाई का गर्मजोशी से स्वागत करती है, उसके माथे पर तिलक करती है और उसकी लंबी उम्र, स्वास्थ्य और खुशहाली की कामना करती है। इसके साथ ही वह अपने हाथों से भोजन कराकर अपने स्नेह और सेवा का भाव प्रकट करती है।

भाई भी इस अवसर पर बहन के प्रति अपने प्रेम और सुरक्षा का वचन देते हैं और उसे उपहार देते हैं। रक्षाबंधन और भाई दूज दोनों भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मानते हैं, लेकिन रक्षाबंधन भाई की जिम्मेदारी और सुरक्षा पर केंद्रित है, जबकि भाई दूज बहन के स्नेह और सेवा की भावना को उजागर करता है।