वैवाहिक जीवन और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है नाड़ी दोष
Nadi Dosh, (आज समाज), नई दिल्ली: सनातन धर्म में ज्योतिष शास्त्र का खास स्थान है। ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से व्यक्ति या जातक के जीवन की भविष्यवाणी की जाती है। इसके साथ ही विवाह और विवाह के बाद वैवाहिक जीवन की भी सटीक जानकारी ज्योतिष शास्त्र से मिल जाती है।
ज्योतिषियों की मानें तो विवाह से पूर्व वर और वधू का कुंडली मिलान अवश्य कराना चाहिए। कुंडली मिलान में कई प्रकार दोष लगते हैं। इनमें नाड़ी और भकूट दोष प्रमुख हैं। इसके अलावा, गण और मैत्री गुण का भी बारीकी से विचार किया जाता है। आइए, नाड़ी दोष के बारे में सबकुछ जानते हैं-
नाड़ी के प्रकार
ज्योतिष शास्त्र के जानकारों की मानें तो आदि नाड़ी, मध्य नाड़ी और अन्त्य नाड़ी तीन प्रकार की नाड़ी हैं। नाड़ी दोष लगने पर विवाह न करने की सलाह दी जाती है। अनदेखी करने से वर और वधू को वैवाहिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वर और वधू के प्रेम-प्रसंग में होने पर विवाह से पूर्व नाड़ी दोष का निवारण अवश्य करा लेना चाहिए। हालांकि, निवारण के बाद ही प्रभाव शून्य या समाप्त नहीं होता है।
कब लगता है नाड़ी दोष?
ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली मिलान में वर और वधू दोनों का एक नाड़ी होने पर नाड़ी दोष लगता है। आसान शब्दों में कहें तो वर और वधू दोनों की नाड़ी सेम (समान) होने पर दोष लगता है। यदि लड़के की नाड़ी मध्य और लड़की की भी नाड़ी भी मध्य है, तो नाड़ी दोष माना जाएगा। इस दोष के लगने से सेहत और वैवाहिक संबंध पर बुरा असर पड़ता है।
नाड़ी दोष निवारण
कुंडली मिलान में नाड़ी दोष लगने पर प्रकांड ज्योतिष से अवश्य सलाह लें। ज्योतिष की सहमति मिलने के बाद नाड़ी दोष का निवारण कराएं। नाड़ी दोष निवारण भी प्रकांड पंडित से कराएं। वहीं, वर और वधू की उपस्थिति में नाड़ी दोष का निवारण कराएं।
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