TDS और Income Tax में क्या है असली फर्क?

भारत में टैक्सेशन सिस्टम जितना जरूरी है, उतना ही पेचीदा भी। आमतौर पर जब भी ‘टैक्स’ की बात होती है, तो इनकम टैक्स   और टीडीएस का नाम सबसे पहले आता है। 

लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये दोनों एक जैसे नहीं हैं? कई लोग इन्हें एक ही समझने की गलती करते हैं, लेकिन असल में दोनों के बीच जमीन-आसमान का फर्क है।

क्या है इनकम टैक्स?: इनकम टैक्स एक डायरेक्ट टैक्स होता है, जो व्यक्ति की सालाना आय पर लगता है। 

मतलब – अगर आपने साल भर में सैलरी, बिजनेस या कैपिटल गेन से कमाई की है, तो आपको उसका एक हिस्सा सरकार को टैक्स के रूप में देना होगा।

इसे आप खुद भरते हैं। यह सालाना इनकम स्लैब के अनुसार तय होता है । इसे भरने की आखिरी तारीख होती है – 31 जुलाई। 

उदाहरण: मान लीजिए आपकी सालाना सैलरी ₹8 लाख है, तो तय स्लैब के हिसाब से आपको इनकम टैक्स देना होगा।

 क्या है TDS : TDS एक तरह का विदहोल्डिंग टैक्स है। मतलब – जब भी कोई आपको भुगतान करता है (जैसे सैलरी, किराया, ब्याज आदि), तो उससे पहले ही वह आपके हिस्से का टैक्स काट लेता है और सरकार को जमा कर देता है।

यह इनकम मिलने से पहले ही काटा जाता है। इसे आपकी ओर से तीसरा पक्ष सरकार को देता है (जैसे कंपनी या बैंक)। बाद में आप इसे ITR में क्लेम कर सकते हैं। 

उदाहरण: अगर आपकी सैलरी ₹50,000/महीना है और कंपनी को लगता है कि आपकी सालाना इनकम टैक्सेबल है, तो वो हर महीने आपकी सैलरी से थोड़ा-थोड़ा TDS काटेगी।