शिववास, ध्रुव और सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए मांगलिक कार्य होंगे सफल
Vivah Panchami, (आज समाज), नई दिल्ली: आज मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है। इस तिथि को विवाह पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह हुआ था। इसलिए इस दिन प्रभुश्रीराम और माता सीता की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस दिन कई योग भी बन रहे हैं। इन योग के बनने से मांगलिक काम सफल होते हैं। मान्यता है कि जब किसी शुभ तिथि पर ऐसे विशेष योग बनते हैं, तो साधना, संकल्प और मांगलिक कार्यों में सफलता की संभावना बढ़ जाती है।

शिववास योग: दिव्य संरक्षण और मानसिक शांति का संयोग

विवाह पंचमी 2025 पर बनने वाला शिववास योग इस दिन को और भी शुभ बना देता है। माना जाता है कि इस योग पर भगवान शिव की विशेष कृपा रहती है। उनके आशीर्वाद से मन को शांति मिलती है, मुश्किलें कम होती हैं और पूजा-पाठ का फल जल्दी मिलता है। इस दिन की गई प्रार्थना, व्रत और दांपत्य सुख की कामनाएं अधिक प्रभावी मानी जाती हैं। लोग विश्वास करते हैं कि शिववास योग के असर से घर-परिवार में प्रेम, सुरक्षा और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

ध्रुव योग: स्थिरता और दीर्घ सफलता का संयोग

विवाह पंचमी के दिन निर्मित होने वाला ध्रुव योग अत्यंत शुभ माना गया है। जैसे ध्रुव तारा आकाश में प्रकाश का प्रतीक है, वैसे ही यह योग जीवन में स्थिरता, दृढ़ता और लम्बे समय तक टिकने वाली सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार, इस योग में आरंभ किए गए कार्य विश्वास, संतुलन और सकारात्मक परिणामों की ओर बढ़ते हैं। विवाह, नए संबंधों की शुरूआत और दांपत्य जीवन के संकल्प इस योग में विशेष फलप्रद माने जाते हैं।

सर्वार्थ सिद्धि योग: सभी कार्यों में सफलता का संयोग

इस साल विवाह पंचमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग का भी अच्छा असर रहेगा। जैसा इसका नाम है, यह योग हर तरह के काम में सफलता मिलने का संकेत देता है। माना जाता है कि इस समय किए गए पूजा-पाठ, व्रत, शुभ काम या नई योजनाएं जल्दी असर दिखाती हैं। अगर किसी के विवाह में रुकावटें आ रही हों, बात आगे नहीं बढ़ रही हो या फैसले को लेकर मन साफ न हो, तो यह योग उनके लिए बहुत शुभ माना जाता है।

एक ही दिन पर तीनों योग: दुर्लभ और अत्यंत शुभ अवसर

ध्रुव योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और शिववास योग इन तीनों का एक ही दिन पर निर्माण होना स्वयं में एक अद्वितीय संयोग है। श्रीराम और माता सीता विवाह की स्मृति में मनाया जाने वाला यह दिवस, इन शुभ योगों की उपस्थिति से और भी अधिक मंगलकारी बन जाता है। मान्यता है कि आज के दिन किए गए पूजा-व्रत से विवाह संबंधित बाधाएं दूर होती हैं और दांपत्य जीवन में स्थायित्व व सौभाग्य बढ़ता है।

पूजा का समय

राम मंदिर का ध्वजारोहण अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 11 बजकर 52 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट के बीच किया जाएगा। यह 43 मिनट की अवधि बहुत शुभ मानी जा रही है। इस दौरान ही विवाह पंचमी की पूजा करना भी बहुत मंगलकारी रहेगा। ऐसे में साधक इस दौरान ही पूजा-पाठ समेत अन्य शुभ कार्य कर सकते हैं।

  • राम-सीता विवाह अनुष्ठान शुभ मुहूर्त: शाम 04 बजकर 49 मिनट से शाम 06 बजकर 33 मिनट तक

पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठकर पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें।
  • घर के मंदिर में राम दरबार की तस्वीर स्थापित करें।
    हाथ में जल लेकर पूजा का संकल्प लें।
  • चंदन, रोली, पीले या लाल फूल, तुलसी दल, और मिठाई अर्पित करें।
  • भगवान राम के मंत्र श्री राम जय राम जय जय राम या ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का कम से कम 108 बार जाप करें।
  • शाम के समय अपने घर के बाहर और मंदिर में घी के दीपक जलाएं।
  • अगर हो पाए तो अपने घर के मंदिर के ऊपर एक केसरिया ध्वज फहराएं और उसकी भी पूजा करें, क्योंकि इसी दिन राम मंदिर का ध्वजारोहण भी हो रहा है।
  • अंत में आरती कर पूजा में हुई सभी गलती के लिए क्षमा मांगे।

विवाह पंचमी का महत्व

यह पर्व केवल विवाह की वर्षगांठ नहीं है, बल्कि यह धर्म, प्रेम और आदर्श गृहस्थ जीवन का प्रतीक है। जिन लोगों के विवाह में देरी हो रही है या बाधाएं आ रही हैं, उन्हें इस दिन भगवान राम और माता सीता का विवाह अनुष्ठान करवाना चाहिए। रामलला की कृपा से उनके विवाह की सभी बाधाएं दूर होंगी और मनचाहा जीवनसाथी मिलेगा। साथ ही राम-सीता के आशीर्वाद से जीवन के हर संकट दूर होते हैं।