कहा, राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 149 साल पूरे होने पर मनाया जाएगा विशेष जश्न

PM Modi News (आज समाज), नई दिल्ली : पीएम मोदी ने रविवार को अपने खास कार्यक्रम मन की बात के 127वें एपिसोड में देशवासियों को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम पर विशेष रूप से बात की । अपने कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि भारत के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 149साल पूरे होने का 7 नवंबर को जश्न मनाया जाएगा।

पीएम मोदी ने कहा कि यह एक गीत ही नहीं बल्कि वो जज्बा है जिसे लेकर अनगिनत नायकों ने हमारे देश की आजदी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। मोदी ने कहा कि इस गीत का एक-एक शब्द हमारे रोम-रोम में नई ऊर्जा भर देता है। इसे लेकर 7 नवंबर को राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम 150वें वर्ष में प्रवेश करेगा। वंदे मातरम हमारी देशभक्ति और राष्ट्रीय गौरव का शाश्वत प्रतीक है।

ह्रदय में भावनाओं का उफान ला देता है वंदे मातरम

पीएम मोदी ने कहा कि मन की बात में एक ऐसे विषय की बात, जो हम सबके दिलों के बेहद करीब है। ये विषय है हमारे राष्ट्रीय गीत का-भारत के राष्ट्रीय गीत यानी वंदे मातरम। एक ऐसा गीत, जिसका पहला शब्द ही हमारे ह्रदय में भावनाओं का उफान ला देता है। वंदे मातरम इस एक शब्द में कितने भाव हैं, कितनी ऊजार्एं हैं। सहज भाव में ये हमें मां-भारती के वात्सल्य का अनुभव कराता है।

यही हमें मां-भारती की संतानों के रूप में अपने दायित्वों का बोध कराता है। पीएम मोदी ने कहा कि अगर कठिनाई का समय होता है तो वंदे मातरम का उद्घोष 140 करोड़ भारतीयों को एकता की ऊर्जा से भर देता है। साथियों, राष्ट्रभक्ति, मां भारती से प्रेम, यह अगर शब्दों से परे की भावना है, तो वंदे मातरम उस अमूर्त भावना को साकार स्वर देने वाला गीत है। इसकी रचना बंकिमचंद्र चटोपाध्याय जी ने सदियों की गुलामी से शिथिल हो चुके भारत में नए प्राण फूंकने के लिए की थी।

वर्षों पुरानी अमर चेतना से जुड़ा गीत

उन्होंने कहा कि वंदेमातरम भले ही 19वीं शताब्दी में लिखा गया था, लेकिन इसकी भावना भारत की हजारों वर्ष पुरानी अमर चेतना से जुड़ी थी। वेदों ने जिस भाव को माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या: (धरती हमारी माता है, और मैं उनका बेटा हूं) कहकर भारतीय सभ्यता की नींव रखी थी। पीएम मोदी ने आगे कहा कि साथियों, आप सोच रहे होंगे कि मैं अचानक से वंदे मातरम की इतनी बातें क्यों कर रहा हूं। दरअसल, कुछ ही दिनों बाद 7 नवंबर को हम वंदे मातरम के 150वें वर्ष के उत्सव में प्रवेश करने वाले हैं। 150 साल पूर्व वंदे मातरम की रचना हुई थी और 1896 में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार इसे गाया था।

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