• 11 अरब डॉलर तक बढ़ सकता है आयात बिल

Experts On India Oil Purchases From Russia, (आज समाज), नई दिल्ली: अमेरिका की धमकी की वजह से अगर भारत रूस से तेल खरीदना बंद करता है तो उसे यह भारी पड़ सकता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसा होने पर भारत का सालाना तेल आयात बिल 9 से 11 अरब डॉलर तक बढ़ सकता है। बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदना जारी रखने पर भारत पर फाइन लगाने की धमकी दी है। हालांकि इसको लेकर भारत सरकार की तरफ से जिस तरह की प्रतिक्रिया सामने आ रही है, उससे लगता नहीं कि नई दिल्ली अमेरिका के दबाव के आगे झुकेगा।

रूस कच्चे तेल का दुनिया दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश

रूस, कच्चे तेल के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। वहीं यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश भी है। मॉस्को प्रतिदिन कच्चे तेल का उत्पादन लगभग 9.5 मिलियन बैरल करता है जो वैश्विक मांगा का 10 फीसदी है। साथ ही मॉस्को हर रोज 2.3 मिलियन बैरल परिष्कृत उत्पादों का निर्यात करता है और करीब 4.5 मिलियन बैरल प्रति दिन कच्चा तेल एक्सपोर्ट करता है।

रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग का तीसरा वर्ष

गौरतलब है कि रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग का तीसरा वर्ष है और 2022 में जब दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू हुआ तो लगने लगा था कि रूसी तेल बाजार से बाहर हो सकता है और इसका प्रतिकूल प्रभाव यह होगा कि वैश्विक स्तर पर तेल के दाम बढ़ेंगे। हालांकि भारत ने मौके का फायदा उठाया। दरअसल, यूरोपीय बाजारों के दरवाजे जब रूस के तेल के लिए बंद हो गए तो भारत को समुद्री निर्यात बढ़ने लगा।

कच्चे तेल के आयात में रूस की हिस्सेदारी 35-40% हुई

सूत्रों के अनुसार फरवरी, 2022 के आरंभ में भारत के कच्चे तेल के आयात में रूस की सिर्फ 0.2 फीसदी हिस्सेदारी थी, जो अब 35-40 प्रतिशत हो गया है। इसका लाभ यह हुआ कि भारत को इससे खुदरा ईंधन के दाम व मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद मिल रही है। भारतीय तेल कंपनियां कुछ तेल, घरेलू भरपाई के मकसद से रिफाइन करती हैं। वहीं बाकी को डीजल और अन्य उत्पादों के तौर पर निर्यात किया जाता है। इसमें से कुछ यूरोप में भी निर्यात किया गया, जिससे इंडियन आयल फर्मों को लाभ हो हो रहा है।

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