Unlucky Actress: (आज समाज) नई दिल्ली: हिंदी सिनेमा में कपूर खानदान का नाम सबसे बड़ी फिल्मी विरासतों में गिना जाता है। इस खानदान से जुड़े हर सदस्य को इंडस्ट्री में खास जगह मिली है। लेकिन इसी चमकते परिवार की एक हीरोइन ऐसी भी रही,
जिसने अपनी खूबसूरती और अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया, फिर भी किस्मत ने उसका साथ नहीं दिया। उसका करियर हिट फिल्मों के बावजूद फ्लॉप माना गया और एक फैसले ने उसकी पूरी जिंदगी की दिशा ही बदल दी।
ये वजह बनी करियर में रुकावट
60 के दशक में एक खूबसूरत और टैलेंटेड लड़की ने बॉलीवुड में कदम रखा। उसकी मुस्कान, अदाएं और अंदाज़ ने सबको दीवाना बना दिया। उसने एक के बाद एक कई बड़े स्टार्स के साथ हिट फिल्में दीं। लेकिन ग्लैमर की दुनिया के पीछे छिपी सच्चाई कुछ और थी। पर्सनल लाइफ की उलझनों ने उसके करियर को ऐसा झटका दिया कि वह कभी उबर नहीं पाई। एक मजबूत शुरुआत के बावजूद उसका फिल्मी सफर अधूरा ही रह गया।
नाम था सितारों जैसा, किस्मत ने नहीं दिया साथ
यह कहानी है बबीता कपूर की, जो अब 78 साल की हो चुकी हैं। 20 अप्रैल 1948 को मुंबई में जन्मी बबीता के पिता हरि शिवदासानी खुद भी एक्टर थे। बबीता ने 1966 में फिल्म ‘राजा’ से बॉलीवुड डेब्यू किया और उसके बाद ‘फर्ज’, ‘हसीना मान जाएगी’, ‘कल आज और कल’, ‘कहानी किस्मत की’ जैसी हिट फिल्मों में काम किया।
उन्होंने जीतेंद्र, मनोज कुमार, शशि कपूर, राजेश खन्ना जैसे सुपरस्टार्स के साथ स्क्रीन शेयर की। उनकी खूबसूरती और अदायगी से लोग कायल हो गए। फिर भी उनका करियर लंबा नहीं चला।
फिल्मी करियर की कुर्बानी
बबीता को रणधीर कपूर से फिल्म ‘कल आज और कल’ के सेट पर प्यार हुआ। लेकिन कपूर परिवार की परंपरा थी कि उनके घर की बेटियां या बहुएं फिल्मों में काम नहीं करेंगी। इसी सोच के चलते बबीता को फिल्मों से दूरी बनानी पड़ी। उन्होंने 1971 में रणधीर कपूर से शादी की और करियर को अलविदा कह दिया। हालांकि यह फैसला आसान नहीं था। उन्होंने इसके लिए लंबा संघर्ष किया। एक तरफ था प्यार और परिवार, दूसरी तरफ था उनका चमकता हुआ करियर।
अधूरा सपना, लेकिन…
शादी के बाद बबीता ने खुद को पूरी तरह परिवार के लिए समर्पित कर दिया। उनके दो बेटियां हुईं – करिश्मा कपूर और करीना कपूर। दोनों ने बॉलीवुड में अपनी मां के अधूरे सपने को पूरा किया और टॉप एक्ट्रेसेज़ में शुमार हुईं। लेकिन बबीता की शादी भी ज्यादा दिनों तक खुशहाल नहीं रही। कुछ सालों में ही वे और रणधीर अलग हो गए। हालांकि उन्होंने तलाक नहीं लिया और सालों तक अलग-अलग रहे। बबीता ने अकेले ही अपनी बेटियों की परवरिश की।
एक कदम ने बदल दी पूरी लाइफ
बबीता ने अपने संघर्षों से बेटियों को मजबूत बनाया। आज भी वे सादगी और आत्मसम्मान की मिसाल मानी जाती हैं। वक्त के साथ रणधीर और बबीता फिर करीब आए और अब वे परिवार के साथ समय बिताते हैं।