- लखपति दीदियों ने यह सिद्ध कर दिया है कि वे अनंत शक्तियों की भंडार
- बहनों ने अपनी कर्मठता से प्रगति, विकास और समृद्धि की एक नई गाथा लिखी
- आत्मविश्वास से भरी हुई दीदियां अपने परिश्रम और हुनर के बल पर समृद्धि का आसमान छूने निकली
- कोई दीदी गरीब क्यों रहे, हाथ क्यों फैलाए, आंसू क्यों बहाए, बल्कि अपने हुनर और परिश्रम के बल पर आगे बढ़े
Union Minister Shivraj Singh Chouhan, (आज समाज), नई दिल्ली : केंद्रीय ग्रामीण विकास और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज नई दिल्ली स्थित सुंदर नर्सरी, भारत स्काउट्स एंड गाइड्स मार्ग, निजामुद्दीन पर आयोजित सरस आजीविका फूड फेस्टिवल 2025 का शुभारंभ किया। इस अवसर पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी भी उपस्थित थी।
वो अनंत शक्तियों की भंडार
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा- सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते”, मेरे लिए नारायणी हर नारी है, “नारी तू नारायणी”। शिवराज सिंह ने कहा है कि लखपति बहनों ने तो यह सिद्ध कर दिया है कि वो अनंत शक्तियों की भंडार हैं, सचमुच में बहनों ने अपनी कर्मठता से प्रगति, विकास और समृद्धि की एक नई गाथा लिखी है। आज लखपति दीदियां 25 राज्यों से आई हैं और उनमें से कई दीदियां ऐसी हैं, जो अपने गुणों, मेहनत और परिश्रम की वजह से आज पूरे देश को रास्ता दिखा रही हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बहनों के विकास का संकल्प
लखपति दीदियों का, देश की राजधानी दिल्ली में हृदय से स्वागत, अभिनंदन करते हुए शिवराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बहनों के विकास का संकल्प है और उनके संकल्प की सिद्धि के लिए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय इस दिशा में लगातार काम कर रहा है कि कोई दीदी गरीब क्यों रहे, हाथ क्यों फैलाए, आंसू क्यों बहाए, बल्कि अपने हुनर और परिश्रम के बल पर आगे बढ़े। शिवराज सिंह ने कहा कि अद्भुत है अपना देश, अलग भाषा, अलग वेश, फिर भी अपना एक देश और देश के अलग-अलग प्रांतों से आई दीदियां, इनकी आँखों में विश्वास की चमक है आत्मविश्वास से भरी हुई अपने परिश्रम और हुनर के बल पर यह समृद्धि का आसमान छूने निकली हैं।
भारत की संस्कृति का रंग ‘हमारे भोजन में मिलता है’
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि सरस फूड फेस्टिवल में हर प्रांत के व्यंजन मिलेंगे। स्वाद, स्वावलंबन और स्वदेशी सब एक ही जगह है। भारत की संस्कृति का रंग हमारे भोजन में मिलता है, इतने प्रकार का भोजन कहां है, ऐसे स्वाद कहां हैं। भारत के व्यंजनों में केवल स्वाद नहीं है, इनमें सचमुच में माँ की सीख है, दादी की रीत है और मिट्टी की स्मृतियां भी हैं और इसलिए सरस फूड फेस्टिवल में आने का निमंत्रण मैं सबको देता हूं।जो बात इस जगह है कहीं पर नहीं हैं क्योंकि यहां दीदियों के बनाए हुए व्यंजन हैं।
महिला सशक्तिकरण और आजीविका का मंच
सरस आजीविका फूड फेस्टिवल राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं, विशेष रूप से सैकड़ों लखपति दीदियों को बाजार और पहचान देने वाला मजबूत मंच बना है। फेस्टिवल का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना, उन्हें स्वरोजगार के अवसर देना और अन्य ग्रामीण महिलाओं को प्रेरित करना है।
देश के 25 राज्यों के व्यंजन, 9 दिसंबर तक फेस्टिवल खुला
फूड फेस्टिवल में 25 राज्यों से आई महिलाएं 62 स्टॉलों के माध्यम से 500 से अधिक पारंपरिक और स्वादिष्ट व्यंजन परोस रही हैं। यह फेस्टिवल 9 दिसंबर तक प्रतिदिन सुबह 11.30 बजे से रात 9.30 बजे तक आम जनता के लिए खुला रहेगा।
भारतीय संस्कृति और खान-पान की झलक
हिमाचली सीडडू, उत्तराखंड की तंदूर चाय, जम्मू-कश्मीर का कलारी कुल्चा, हैदराबादी दम बिरयानी, नॉर्थ ईस्टर्न मोमो, बंगाली फ्राइड मछली, राजस्थान की कैर सागरी, गट्टे की सब्ज़ी, बाजरे की रोटी, बंगाल की हिलसा फिश करी, तेलंगाना का चिकन, केरल की मालाबार बिरयानी, बिहार का लिट्टी-चोखा और पंजाब का सरसों का साग-मक्के की रोटी जैसे अनेक व्यंजन आगंतुकों को आकर्षित कर रहे हैं। फेस्टिवल में हरियाणा, अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल, असम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, गुजरात सहित कई राज्यों की भागीदारी से देश की सांस्कृतिक और सामाजिक विविधता की झलक मिल रही है।
ग्रामीण उत्पादों व सामाजिक ताने-बाने से रूबरू होने का अवसर
फूड स्टॉलों के साथ-साथ प्राकृतिक व ग्रामीण उत्पादों के स्टॉल भी लगाए गए हैं, जिनके माध्यम से आगंतुक गांवों की आर्थिक व सामाजिक धारा से परिचित हो रहे हैं। फेस्टिवल ग्रामीण भारत की समृद्ध परंपराओं, आत्मनिर्भरता और महिला नेतृत्व वाली आजीविका मॉडल को सामने लाने वाला प्रभावी माध्यम बन गया है।
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