भारत पहले ही दबाव को नकारते हुए व्यापार समझौते से कर चुका किनारा

US Tariff Effect (आज समाज), नई दिल्ली : एक तरफ जहां अमेरिकी राष्टÑपति डोनाल्ड ट्रंप विश्व के लगभग सभी प्रमुख देशों के खिलाफ उच्च टैरिफ लगाने की घोषणा कर चुके हैं वहीं कुछ देशों के साथ अमेरिका ने इन टैरिफ दरों में रियायत के बदले व्यापार समझौते करने का दबाव बनाया। बहुत सारे देशों ने अमेरिका की शर्तें मानते हुए उसके साथ समझौता करने में अपनी भलाई समझी।

भारत उन चंद देशों में से एक था जिसने अपने किसानों, पशु पालकों और छोटे व्यापारियों की हितों की सुरक्षा हेतु अमेरिका से व्यापार समझौता नहीं किया और उसे 50 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ा। जापान भी अब भारत की राह पर चल पड़ा है और उसने अमेरिका की शर्तों को मानने से इंकार करना शुरू कर दिया है।

अमेरिकी चावल के लिए बाजार खोलने का था दबाव

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप जापान पर अमेरिकी चावल के लिए बाजार खोलने का दबाव बना रहे हैं। इस वजह से जापान के मुख्य वातार्कार रयोसेई अकाजावा ने अमेरिका दौरा रद्द कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, अकाजावा को वॉशिंगटन डीसी का दौरा करने वाले थे, लेकिन ट्रम्प के अमेरिकी चावल खरीदने के दबाव के बाद उन्हें यह यात्रा रद्द करनी पड़ी। अमेरिका ने इसी तरह का दबाव भारत पर भी बनाया था। अमेरिका चाहता था कि भारत उनकी मांसाहारी गायों का दूध खरीदे। साथ ही उनके किसानों के लिए भारत अपना मार्केट ओपन करे। लेकिन भारत ने इससे साफ इनकार कर दिया था।

लिखित वादा देने के लिए अड़ा जापान

अमेरिका-जापान में कुछ मुद्दों पर अभी सहमति नहीं बन पाई है, इस वजह से जापानी वातार्कार रयोसेई अकाजावा का अमेरिका दौरा रद्द हो गया। निक्की एशिया के मुताबिक अकाजावा चाहते थे कि उनकी यात्रा से अमेरिका से यह लिखित वादा मिल जाए कि जापानी उत्पादों पर टैरिफ घटेगा, लेकिन जब यह साफ हो गया कि ऐसा नहीं होगा, तो उन्होंने यात्रा रद्द कर दी। कई सरकारी अधिकारियों ने कहा कि ट्रम्प ने जापान पर दबाव डालकर पहले उससे टैरिफ कम कराया और फिर कृषि उत्पादों का आयात बढ़ाने की शर्त रखी। इसके बदले में जापान को उम्मीद थी कि अमेरिका आॅटोमोबाइल पर टैरिफ का बोझ कम करेगा, लेकिन ट्रम्प की तरफ से इसे लेकर कोई ठोस भरोसा नहीं मिला।

अमेरिका का रवैया असमान्य

जापान का कहना है कि अमेरिका का रवैया उसकी घरेलू नीतियों में हस्तक्षेप है। अकाजावा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अभी कई मुद्दे ऐसे हैं जिन पर अधिकारियों के स्तर पर और बातचीत की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जब तक वार्ता आगे बढ़ती रहेगी, वे अमेरिका की यात्रा टाल रहे हैं, लेकिन संभव है कि भविष्य में फिर से जाएं।

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