नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है। किसानों ने अब सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। भारतीय किसान यूनियन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। जिसमें कहा है कि नए कानून उन्हें कॉपोर्रेट लालच का शिकार बना देंगे। बता दें कि दस दिनों से ज्यादा हो गया किसान दिल्ली बॉर्डर पर अपनी मांगों को लेकर डटे हैं। किसानों और सरकार के बीच कई चरणों में बातचीत हो चुकी है लेकिन अब तक यह वार्ता बेनतीजा ही निकली है। सरकार की ओर से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर किसानोंसे बातचीत कर रहे हैंऔर नए कानून पर हर प्रकार का संशोधन करने को तैयार हैं। लेकिन किसानों की ओर सेकहा जा रहा है कि वह इस कानून को समाप्त कराना चाहते हैं। सरकार द्वारा किसानों को लिखित संशोधन प्रस्ताव भेजा गया था जिसे किसानों ने खारिज कर दिया था और अपने आंदोलन को तेज करने की मांग की थी। इसके साथ ही किसानों ने सुप्रीम कोर्ट में भी इस कानून के खिलाफ याचिका दायर की है। किसानों ने यह कदम केंद्र सरकार के उस प्रस्ताव को खारिज करने के बाद उठाया है जिसमें मोदी सरकार ने कहा है कि वह कानून के उन प्रावधानों में संशोधन को तैयार है जिनको लेकर उन्होंने आपत्ति जताई है। सरकार ने एमएसपी पर लिखित में भरोसा देने की बात कही है तो यह भी आश्वासन दिया है कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में करार केवल फसल के लिए होगा, इसलिए जमीन पर कोई कब्जा नहीं कर सकता है। हालांकि, किसान कानूनों को वापस लेने पर अड़ गए हैं। अब किसानों ने एलान किया है कि वह देश की रेल पटरियों को रोकेंगे। अपना आंदोलन तेज करेंगे। किसानों ने कहा है कि वह 14 दिसंबर को देशव्यापी प्रदर्शन करेंगे और 12 दिसंबर से दिल्ली-जयपुर नेशनल हाईवे को भी ब्लॉक कर देंगे। केंद्र सरकार के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को भी कहा कि किसानों को आंदोलन छोड़कर बातचीत करनी चाहिए।
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