Farmers’ government gave ultimatum, till 2 October for cancellation of agricultural law: किसानों का सरकार कोअल्टीमेटम, कृषि कानून रद्द करने के लिए दिया 2 अक्टूबर तक का समय

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गाजियाबाद। किसानों नेकृषि कानूनों के खिलाफ गणतंत्र दिवस की परेड के बाद चक्का जाम का एलान किया था। किसान नेताओं की ओर से आज के 3 घंटे के चक्का जाम के समाप्त हो ने के बाद गाजीपुर बॉर्डर के मंच से भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत नेएलान किया कि हम सरकार को दो अक्टूबर तक का समय देते हैं। सरकार नए कृषि कानूनों को वापस ले और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाए नहीं तो आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि हम पूरे देश में यात्राएं करेंगे और पूरे देश में आंदोलन होगा। किसान नेता टिकैत ने सरकार को नए कृषि कानून रद्द करने का दो अक्टूबर तक का समय दिया और कहा कि इसके बाद हम आगे की प्लानिंग करेंगे। हम दबाव में सरकार के साथ चर्चा नहीं करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार किसानों को नोटिस भेजकर डरा रही है, लेकिन इससे किसान डरने वाले नहीं हैं। किसानों की डाली मिट्टी पर जवान का पहरा है। इससे व्यापारी हमारी जमीन पर बुरी नजर नहीं डालेगा। हमारा मंच और पंच एक ही है। सरकार वार्ता के लिए बुलाएगी तो हम तैयार हैं। टिकैत ने यह भी कहा कि सरकार को व्यापारियों से लगाव है, किसानों से नहीं। गौरतलब है कि किसानों ने गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड बुलाई थी और इस परेड में हिंसा और अराजकता देखने को मिली थी। इसी परेड में किसानों ने रास्ता बदलकर लाल किलेका रास्ता पकड़ लिया और वहां जाकर लाल किले की प्राचीर पर सिख धर्म का झंडा और एक अन्य कमेटी का झंडा लगाया था। जिसके बाद इस कृत्य की व्यापक निंदा की गई थी। हालांकि इस बार किसान नेताओं ने सावधानी के साथ तीन घंटे का राष्ट्रव्यापी ‘चक्का जाम’ किया। किसान नेता शांतिपूर्ण प्रदर्शन की बात दोहराते रहे। इस दौरान किसी भी तरह के अप्रिय हालात से निपटने के लिए दिल्ली-एनसीआर में पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के हजारों जवानों को तैनात किया था और सभी सीमाओं पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी। हालात पर नजर रखने के लिए ड्रोन कैमरों की मदद ली गई। बता दें कि चक्का जाम से पहले ही संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की ओर सेबयान दे दिया गया था कि इस चक्का जाम में दिल्ली, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड को शामिल नहीं किया गया है।

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