पीएम मोदी ने दिया सख्त संदेश तो चीन के बदले सुर, कहा- एक दूसरे का करना है सम्मान

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस के भाषण पर चीन ने प्रतिक्रिया दी है। चीनी विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा है कि चीन भारत के साथ आपसी विश्वास बढ़ाने और मतभेदों को ठीक तरीके से सुलझाने के लिए काम करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, ‘दोनों देशों के लिए ‘सही रास्ता’ एक दूसरे का सम्मान करना है।’

चीन के विदेश मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस के उस भाषण पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें पीएम मोदी ने भारतीय सशस्त्र बलों के मजबूत होने और देश की क्षेत्रीय अखंडता सर्वोच्च होने की बात की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले की प्राचीर से कहा था, ‘हमारे देश के वीर जवान क्या कर सकते हैं, लद्दाख में दुनिया ने देख लिया है। एलओसी से लेकर एलएसी तक, जिस देश ने भी आंख उठाई, भारत के जवानों ने उसका मुंहतोड़ जवाब दिया।’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की संप्रभुता का सम्मान हमारे लिए सर्वोच्च है। इस संकल्प के लिए हमारे वीर जवान क्या कर सकते हैं, देश क्या कर सकता है, यह लद्दाख में दुनिया ने देखा है। बता दें कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में जून के मध्य में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक टकराव हो गया था, जिसमें कम से कम 20 जवान शहीद हो गए थे। इसके अलावा, चीन के भी कई सैनिकों की मौत हुई थी।

झाओ ने सोमवार को मंत्रालय की नियमित ब्रीफिंग में कहा, ‘इसलिए द्विपक्षीय संबंधों का विकास न केवल दो लोगों के हित में कार्य करेगा, बल्कि इस क्षेत्र और पूरे विश्व की स्थिरता, शांति, समृद्धि भी होगी। दोनों पक्षों के लिए सही रास्ता एक दूसरे का सम्मान और समर्थन करना है क्योंकि यह हमारे दीर्घकालिक हितों को पूरा करता है।’ उन्होंने कहा, ‘चीन राजनीतिक आपसी विश्वास को बढ़ाने, हमारे मतभेदों को ठीक से प्रबंधित करने और द्विपक्षीय संबंधों के दीर्घकालिक विकास को सुनश्चित करने के लिए भारत के साथ काम करने के लिए तैयार है।’

पीएम मोदी के भाषण पर टिप्पणी करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा, ‘हमने प्रधानमंत्री मोदी के भाषण को देखा है। हम करीबी पड़ोसी हैं, हम सभी एक अरब से अधिक लोगों के साथ उभरते हुए देश हैं।’

 

चीनी मीडिया में पीएम मोदी के भाषण का हुआ था विश्लेषण

वहीं, प्रधान मंत्री मोदी के भाषण का चीनी मीडिया द्वारा विश्लेषण भी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि चीन के संदर्भ में यह महत्वपूर्ण है कि वह आगे क्या करता है। शंघाई इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज के एक शोधकर्ता झाओ ने चीन सरकार के मुखपत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ को बताया था कि आठ अगस्त को बीजिंग और नई दिल्ली के बीच वरिष्ठ सैन्य-स्तरीय वार्ता के दौर के बाद, भारत ने अपना रुख बदलने का कोई संकेत नहीं दिखाया है। इसके साथ ही चीन ने भी अपनी जमीन पकड़ रखी है। जैसा कि दोनों देश अभी भी प्रमुख मुद्दों पर गतिरोध में हैं, पीएम मोदी के इरादे उनके अगले कदमों से पता चलेंगे।

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