शिववास और रवि योग में करें शंकर भगवान की पूजा
Som Pradosh Vrat, (आज समाज), नई दिल्ली: हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत पर भगवान शंकर की पूजा करने का विधान है। कार्तिक महीने का अंतिम प्रदोष व्रत कल यानी की सोमवार को रखा जाएगा। सोमवार के दिन पड़ने के चलते यह सोम प्रदोष व्रत कहलाएगा। इस दिन देवों के देव महादेव और मां पार्वती की भक्ति भाव से पूजा की जाएगी। साथ ही मनचाहा वरदान पाने के लिए त्रयोदशी तिथि पर व्रत रखा जाएगा। ज्योतिषियों के अनुसार, इस व्रत पर रवि, शिववास और हर्षण जैसे कई शुभ योग बन रहे हैं। इन योगों में पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, सुख-सौभाग्य बढ़ता है और आरोग्यता प्राप्त होती है। त्रयोदशी तिथि 3 नवंबर को सुबह 05:07 बजे से शुरू होकर 4 नवंबर को सुबह 02:05 बजे तक रहेगी।

सोम प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरूआत 03 नवंबर को सुबह 05 बजकर 07 मिनट पर होगी और 04 नवंबर को सुबह 02 बजकर 05 मिनट पर समाप्त होगी। ज्योतिष गणना से 03 नवंबर को कार्तिक माह का अंतिम प्रदोष व्रत मनाया जाएगा।

सोम प्रदोष व्रत शुभ योग

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर हर्षण योग का संयोग है। इस योग का समापन प्रदोष काल यानी शाम 07 बजकर 40 मिनट पर होगा। ज्योतिष हर्षण को शुभ मानते हैं। इस योग में शिव शक्ति संग चंद्र देव की पूजा कर सकते करने से हर मनोकामना पूरी होगी।

शिववास योग

सोम प्रदोष व्रत पर शिववास का निर्माण हो रहा है। शिववास योग का संयोग देर रात 02 बजकर 05 मिनट तक है। इस समय तक भगवान शिव नंदी की सवारी करेंगे। शिववास योग में भगवान शिव का अभिषेक करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

रवि योग

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रवि योग का संयोग बन रहा है। रवि योग का संयोग दोपहर 03 बजकर 05 मिनट से है। वहीं, रवि योग का समापन 04 नवंबर को सुबह में होगा। रवि योग में भगवान शिव की पूजा करने से आरोग्यता का वरदान मिलेगा। साथ ही सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।

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