विपक्ष ने संसद के गेट पर प्रदर्शन करने का किया ऐलान
Parliament Winter Session, (आज समाज), नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र का आज दूूसरा दिन भी हंगामेदार रह सकता है। विपक्ष सत्ता पक्ष पर एसआईआर और वोट चोरी के आरोप के मुद्दे पर लगातार हमला बोल रहा है। इन्हीं मुद्दों को लेकर विपक्ष ने आज संसद के गेट पर प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। विपक्षी दलों की मांग है कि एसआईआर पर चर्चा कराई जाए। इससे पहले कल एक दिसंबर को संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में बताया था कि सरकार एसआईआर और चुनावी सुधारों पर चर्चा के लिए तैयार है।

विपक्ष से अपील कि वह इस पर कोई समय सीमा न थोपें। वहीं सदन की कार्यवाही से पहले पीएम मोदी ने संसद के बाहर मीडिया से कहा कि यह सत्र पराजय की हताशा या विजय के अहंकार का मैदान नहीं बनना चाहिए। यहां ड्रामा नहीं, डिलीवरी होनी चाहिए। यहां जोर नीति पर होना चाहिए, नारों पर नहीं।

पहले दिन 3 बिल हुए पेश

पहले दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में 3 बिल पेश किए, जिसमें से मणिपुर गुड्स एंड सर्विस टैक्स बिल (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2025 बिल पास हुआ।

वंदे मातरम् पर चर्चा संभव

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने पर सरकार सदन में वंदे मातरम् पर 10 घंटे चर्चा करा सकती है। यह बहस गुरुवार-शुक्रवार को हो सकती है। पीएम मोदी खुद इसमें हिस्सा ले सकते हैं। 30 सितंबर को राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में सत्तारूढ़ दल के कई सदस्यों ने इस चर्चा का प्रस्ताव रखा था। अब तक आॅफिशियल बयान नहीं आया है।

शीतकालीन सत्र में 10 नए बिल पेश होंगे

संसद के शीतकालीन सत्र में 10 नए बिल पेश होंगे। लोकसभा बुलेटिन में शनिवार (22 नवंबर) को इसकी जानकारी दी गई थी। इनमें सबसे अहम एटॉमिक एनर्जी बिल है, जिसके तहत पहली बार निजी कंपनियों (भारतीय और विदेशी) को न्यूक्लियर पावर प्लांट लगाने की अनुमति देने का प्रस्ताव है।

फिलहाल देश में सभी परमाणु संयंत्र सरकार के नियंत्रण वाली कंपनियां जैसे NPCIL ही बनाती और चलाती हैं। बिल पास होने पर निजी क्षेत्र को भी न्यूक्लियर पावर प्रोडक्शन में प्रवेश मिलेगा।

सत्र में आने वाला दूसरा बड़ा बिल हायर एजुकेशन कमीशन आॅफ इंडिया बिल होगा। इसमें UGC, AICTE और NCTE जैसे अलग-अलग रेगुलेटरी संस्थानों को खत्म करके एक ही राष्ट्रीय कमीशन बनाने की योजना है। सरकार का कहना है कि इससे उच्च शिक्षा व्यवस्था अधिक सुगम और प्रभावी होगी।