धनतेरस की खरीदारी के लिए भी शुभ माना जाता है यह दिन
Rama Ekadashi, (आज समाज), नई दिल्ली: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली रमा एकादशी 17 अक्टूबर यानी की आज मनाई जाएगी। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही एकादशी तिथि पर व्रत रखा जाता है। इसके अलावा, कार्तिक महीने में दीवाली मनाई जाती है।

इस शुभ अवसर पर देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस दिन सूर्य देव कन्या राशि से तुला राशि में गोचर करेंगे, जिससे तुला संक्रांति का महासंयोग बनेगा। यह दिन धनतेरस की खरीदारी के लिए भी शुभ माना जाता है। आइए, रमा एकादशी की सही तिथि और शुभ मुहूर्त जानते हैं।

पंचांग

  • सूर्योदय: सुबह 06 बजकर 23 मिनट पर
  • सूर्यास्त: शाम 05 बजकर 49 मिनट पर
  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04 बजकर 43 मिनट से 05 बजकर 33 मिनट तक
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 02 बजकर 01 मिनट से 02 बजकर 46 मिनट तक
  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 05 बजकर 49 मिनट से 06 बजकर 14 मिनट तक
  • निशिता मुहूर्त: रात्रि 11 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक

रमा एकादशी पारण समय

शुक्रवार 17 अक्टूबर को रमा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। वहीं, गुरुवार 18 अक्टूबर को एकादशी का पारण किया जाएगा। साधक 18 अक्टूबर को एकादशी का पारण सुबह 06 बजकर 24 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 41 मिनट के मध्य स्नान-ध्यान, पूजा-पाठ और अन्न-धन का दान करने के बाद कर सकते हैं।

रमा एकादशी पर महासंयोग

ज्योतिषियों की मानें तो रमा एकादशी के दिन शिववास और शुक्ल योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल प्राप्त होगा। साथ ही साधक पर लक्ष्मी नारायण जी की कृपा बरसेगी।

रमा एकादशी पूजा विधि

  • कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन ब्रह्म बेला में उठें।
  • इस समय लक्ष्मी नारायण जी को प्रणाम कर दिन की शुरूआत करें।
  • इसके बाद दैनिक कामों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें।
  • अब आचमन कर पीले रंग के नए कपड़े पहनें और सूर्य देव को जल अर्पित करें।
  • इसके बाद पंचोपचार कर एक चौकी पर पीले रंग के वस्त्र बिछाकर उन पर लक्ष्मी नारायण जी की प्रतिमा स्थापित करें।
  • अब भक्ति भाव से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें।
  • पूजा में लक्ष्मी नारायण जी को श्रीफल, फल, फूल और चावल की खीर अर्पित करें।
  • इस समय रमा व्रत कथा का पाठ और मंत्र का जप करें। वहीं, पूजा का समापन आरती से करें।
  • दिन भर उपवास रखें। वहीं, संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें।