शनिदेव की पूजा करने से संकट होते है दूर
Shani Amavasya, (आज समाज), नई दिल्ली: सनातन धर्म में अमावस्या का एक विशेष महत्व है। इस दिन पितरों की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इस दिन गंगा सहित पवित्र नदियों में स्नान और दान करने से विशेष पुण्य मिलता है। अबकी बार भाद्रपद अमावस्या 23 अगस्त को पड़ रही है। इस दिन शनिवार है। इसलिए इसे शनिश्चरी अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन शनिदेव की पूजा करने से शनि दोष, साढ़ेसाती और ढैय्या के अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है।
इसके साथ ही, यह दिन पितरों की पूजा और तर्पण के लिए भी शुभ माना जाता है, जिससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। शनि अमावस्या पर विशेष प्रयोगों से शनि की कृपा आसानी से मिल सकती है। खासतौर से रोजगार और नौकरी की समस्याएं आसानी से दूर हो सकती हैं।
शनि अमावस्या मुहूर्त
भाद्रपद माह की अमावस्या तिथि 22 अगस्त 2025 को सुबह 11.55 से शुरू होगी और अगले दिन 23 अगस्त को सुबह 11.35 पर समाप्त होगी।
स्नान मुहूर्त- सुबह 4.26 – सुबह 5.10
पूजा मुहूर्त – सुबह 7.32 – सुबह 9.09
शनि पूजा – शाम 6.52 – रात 8.15
शनि अमावस्या पर साढ़ेसाती और ढैय्या के उपाय
- शनिश्चरी अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान, दान, पिंडदान और तर्पण करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- शनिदेव की मूर्ति पर तेल, फूल माला और प्रसाद अर्पित करें। उनके चरणों में काले उड़द और तिल चढ़ाएं. इसके बाद तेल का दीपक जलाकर शनि चालीसा का पाठ करें।
- शनि अमावस्या के दिन किसी निर्धन व्यक्ति को भोजन कराना बेहद शुभ फल देता है।
शनि देव के इन मंत्रों का करें जाप
- ॐ शं शनिश्चराय नम:
- अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया। दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।। गतं पापं गतं दु:खं गतं दारिद्रय मेव च। आगता: सुख-संपत्ति पुण्योऽहं तव दर्शनात्।।
- ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये।
- ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम। उर्वार्रक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात। ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शंयोरभिश्रवन्तु न:। ऊँ शं शनैश्चराय नम:। ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।
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