मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है काल भैरव जयंती
Kaal Bhairav Jayanti, (आज समाज), नई दिल्ली: काल भैरव जयंती का पर्व बेहद शुभ माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हर साल काल भैरव जयंती मनाई जाती है। यह दिन भगवान शिव के रौद्र स्वरूप बाबा काल भैरव जी को समर्पित है। भैरव बाबा को तंत्र-मंत्र के देवता और काशी के कोतवाल के रूप में भी पूजा जाता है। वह सभी नकारात्मक शक्तियों, भय और शत्रुओं का नाश करने वाले माने जाते हैं।

12 नवंबर को मनाई जाएगी काल भैरव जयंती

उदया तिथि को देखते हुए इस साल काल भैरव जयंती का पर्व 12 नवंबर 2025, दिन बुधवार को मनाया जाएगा, तो आइए इस तिथि से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

शत्रुओं से मुक्ति के महाउपाय

शाम के समय बाबा काल भैरव के मंदिर में जाएं। मंदिर या अपने घर के पूजा स्थल पर सरसों के तेल का एक चौमुखी दीपक जलाएं। दीपक में काली उड़द के कुछ दाने डालें। दीपक प्रज्वलित करते समय और उसके बाद इस भैरव मंत्र ॐ ह्रीं काल भैरवाय हं फट् स्वाहा। का 108 बार जाप करें।

इसके बाद, कुत्तों को भोजन कराएं, क्योंकि कुत्ता काल भैरव जी का वाहन है। जयंती के दिन विशेष रूप से काले रंग के कुत्तों को मीठी रोटी, दूध या दही-चावल खिलाना चाहिए। मान्यता है कि कुत्तों को भोजन कराने से बाबा काल भैरव बहुत खुश होते हैं और आपके सभी शत्रुओं को शांत कर देते हैं।

  • नारियल और कपूर: इस दिन एक नारियल को अपने सिर के ऊपर से सात बार उतार कर भैरव मंदिर में अर्पित करें और उस पर कपूर जला दें। यह नकारात्मक शक्तियों और ऊपरी बाधाओं को दूर करता है।
  • काले कपड़े का दान: भैरव जयंती पर किसी गरीब या जरूरतमंद को काले वस्त्र, कंबल या तिल का दान करने से ग्रह बाधाएं और शत्रु भय से मुक्ति मिलती है।
    आंवले के पत्ते और सिंदूर: अगर कोई शत्रु अधिक परेशान कर रहा हो, तो आंवले के 5 पत्तों पर सिंदूर से उसका नाम लिखकर भैरव बाबा के चरणों में अर्पित करें और उनसे उसके साथ रिश्ते को सामान्य करने की प्रार्थना करें।