शाम के समय महादेव और मां पार्वती की करें पूजा
Pradosh Vrat Path, (आज समाज), नई दिल्ली: आज कार्तिक मास का अंतिम प्रदोष व्रत रखा जा रहा है। सोमवार को पड़ने के कारण इस व्रत को सोम प्रदोष व्रत का नाम दिया गया है। सोमवार का दिन तो वैसे भी भगवान महादेव को समर्पित है। वहीं आज प्रदोष व्रत होने के कारण इस दिन का महत्व ओर भी बढ़ जाता है।

इस दिन व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और शारीरिक-मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। आर्थिक समस्याओं से निजात पाने के लिए पूजा के समय भगवान शिव का अभिषेक करते हुए दारिर्द्य दहन शिव स्तोत्र और श्री लिङ्गाष्टकम् का पाठ अवश्य करें।

महादेव का करें जलाभिषेक और रुद्राभिषेक

सनातन शास्त्रों में निहित है कि देवों के देव महादेव जलाभिषेक और रुद्राभिषेक से शीघ्र प्रसन्न होते हैं। ज्योतिष भी मनचाहा वरदान पाने के लिए भगवान शिव की पूजा के समय जलाभिषेक करने की सलाह देते हैं। देवों के देव महादेव अपनी कृपा भक्तों पर बरसाते हैं। उनकी कृपा से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।

श्री लिङ्गाष्टकम्

  • ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गंनिर्मलभासितशोभितलिङ्गम्।
    जन्मजदु:खविनाशकलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्॥
  • देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहम्करुणाकर लिङ्गम्।
    रावणदर्पविनाशनलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥
  • सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गंबुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम्।
    सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥
  • कनकमहामणिभूषितलिङ्गंफणिपतिवेष्टित शोभित लिङ्गम्।
    दक्षसुयज्ञविनाशन लिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥
  • कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गंपङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम्।
    सञ्चितपापविनाशनलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥
  • देवगणार्चित सेवितलिङ्गंभावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम्।
    दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥
  • अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गंसर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम्।
    अष्टदरिद्रविनाशनलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥
  • सुरगुरुसुरवरपूजित लिङ्गंसुरवनपुष्प सदार्चित लिङ्गम्।
    परात्परं परमात्मक लिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥
  • लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं य:पठेत् शिवसन्निधौ।
    शिवलोकमवाप्नोतिशिवेन सह मोदते॥

दारिर्द्य दहन शिव स्तोत्र

  • विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय कणार्मृताय शशिशेखरधारणाय।
    कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय दारिर्द्यदु:खदहनाय नम: शिवाय॥
  • गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय।
    गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय दारिद्?र्यदु:खदहनाय नम: शिवाय॥
  • भक्तप्रियाय भवरोगभयापहाय उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय।
    ज्योतिर्मयाय गुणनामसुकृत्यकाय दारिर्द्यदु:खदहनाय नम: शिवाय॥
  • चर्मांबराय शवभस्मविलेपनाय भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय।
    मंजीरपादयुगलाय जटाधराय दारिर्द्यदु:खदहनाय नम: शिवाय॥
  • पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रय मण्डिताय।
    आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय दारिर्द्यदु:खदहनाय नम: शिवाय॥
  • गौरीविलासभवनाय महेश्वराय पञ्चाननाय शरणागतकल्पकाय।
    शर्वाय सर्वजगतामधिपाय तस्मै दारिर्द्यदु:खदहनाय नम: शिवाय॥
  • भानुप्रियाय भवसागरतारणाय कालान्तकाय कमलासनपूजिताय।
    नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय दारिर्द्यदु:खदहनाय नम: शिवाय॥
  • रामप्रियाय राघुनाथवरप्रदाय नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय।
    पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय दारिर्द्यदु:खदहनाय नम: शिवाय॥
  • मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय।
    मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय दारिद्?र्यदु:खदहनाय नम: शिवाय॥
  • वसिष्ठेनकृतं स्तोत्रं सर्व दारिर्द्यनाशनम्।
  • सर्वसंपत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम्॥