चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने विकसित की नई किस्म
Wheat Variety, (आज समाज), नई दिल्ली: देश में गेहूं उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषि वैज्ञानिक लगातार नई किस्मों का विकास कर रहे हैं. इसी कड़ी में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के गेहूं और जौ अनुभाग ने गेहूं की एक नई पछेती किस्म WH 1309 विकसित की है, जो गर्मी के प्रति अधिक सहनशील है और अन्य किस्मों से बेहतर प्रदर्शन करती है। साथ ही यह उपज भी अधिक देती है। यानी इस किस्म की खेती कर किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।

WH 1309 की विशेषताएं

WH 1309 किस्म की बालियां 83 दिनों में निकलती हैं और 123 दिनों में पककर तैयार हो जाती हैं। इस किस्म के पौधों की ऊंचाई लगभग 98 सेंटीमीटर है, जिससे इसका गिरने का खतरा बहुत कम होता है। इसके दाने मोटे और चमकीले होते हैं, जिनमें 13.2 प्रतिशत प्रोटीन, 81।9 हेक्टोलीटर वजन और 54 मिली अवसादन मान होता है। यह किस्म रोगों से भी सुरक्षित है और जैविक खेती तथा लवणीय क्षेत्रों में भी बोई जा सकती है।

पैदावार और उत्पादन क्षमता

WH 1309 की उत्पादन क्षमता अन्य किस्मों से बेहतर है। सिंचित परिस्थितियों में इसकी औसत उपज 55.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और अधिकतम उपज 64.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई है। हरियाणा के विभिन्न जिलों में खेतों पर हुए परीक्षणों में इसकी औसत उपज 54.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रही, जो WH 1124 किस्म की तुलना में 12.7 प्रतिशत अधिक है।

बुवाई का सही समय और खाद का प्रयोग

अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग के अनुसार, WH 1309 की बिजाई का सही समय 1 दिसंबर से 20 दिसंबर के बीच है। बीज की मात्रा 125 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर रखनी चाहिए। अधिकतम उपज के लिए नाइट्रोजन 150, फास्फोरस 60, पोटाश 30 और जिंक सल्फेट 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर प्रयोग की सलाह दी गई है।

WH1309 का किसानों के लिए लाभ

यह किस्म मार्च महीने में बढ़ते तापमान का सामना कर सकती है, जो सामान्य गेहूं की फसल के लिए चुनौती होती है। इसके अलावा, यह किस्म धान की कटाई में देरी के कारण भी हुई बिजाई में लाभकारी साबित होती है। इसके दाने मोटे और चमकीले होने के कारण बाजार में इसकी मांग अच्छी रहेगी और किसानों को बेहतर लाभ मिलेगा।

वैज्ञानिकों का योगदान

इस किस्म के विकास में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के गेहूं एवं जौ अनुभाग की टीम ने अहम भूमिका निभाई है। इस टीम में डॉ. विक्रम सिंह, एमएस। दलाल, ओपी बिश्नोई, दिव्या फोगाट, योगेंद्र कुमार, हर्ष सोमवीर, और अन्य वैज्ञानिक शामिल हैं, जिन्होंने मेहनत से WH 1309 को किसानों के लिए उपलब्ध कराया है।