एक अक्टूबर से लागू हुआ भारत और स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टाइन के बीच व्यापार समझौता
Business News (आज समाज), बिजनेस डेस्क : भारत ने पिछले कुछ समय से अपनी वैश्विक व्यापार नीति में बदलाव करते हुए केवल कुछ देशों पर अपनी निर्भरता समाप्त करते हुए विश्व के दर्जनों देशों के साथ व्यापारिक रिश्ते बनाने को प्राथमिकता दी है। इसी का परिणाम है की विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार तेजी से विकास कर रही है। इसी दिशा में काम करते हुए भारत और यूरोप के चार देशों के बीच व्यापार समझौता एक अक्टूबर से लागू हो गया है।
ये देश अगले 15 साल तक भारत में करेंगे निवेश
ईएफटीए में स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टाइन शामिल हैं। इस समझौते के तहत भारत से निर्यात होने वाले 92.2 प्रतिशत उत्पाद श्रेणियों पर शुल्क घटाने का प्रावधान है। मार्च 2024 में हुए इस करार में यह भी तय किया गया कि चारों देश अगले 15 वर्षों में भारत में 100 अरब डॉलर का निवेश करेंगे। यह निवेश तकनीक, विनिर्माण, टेक्सटाइल, चमड़ा और खाद्य उत्पादों के क्षेत्र में केंद्रित होगा। स्विट्जरलैंड की स्टेट सेक्रेटरी फॉर इकोनॉमिक अफेयर्स हेलेन बुडलीगर ने कहा कि यह समझौता दोनों तरफ के रिश्तों को नए आयाम देगा और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा बूस्टर साबित होगा।
अहम समय में लागू हुआ समझौता
यह समझौता ऐसे समय में लागू हुआ है जब अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक रिश्ते तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में रूस से तेल आयात करने पर भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया, जिसमें 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क शामिल है। इस बीच ईएफटीए और भारत के बीच हुआ यह समझौता नई संभावनाओं का द्वार खोल रहा है।
भारत की आर्थिक क्षमता पर भरोसा
स्विस अधिकारी बुडलीगर ने कहा कि भारत की आर्थिक विकास क्षमता पर हमें पूरी तरह भरोसा है। उन्होंने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के 30-30-30 फामूर्ले का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है कि अगले 30 वर्षों में भारत 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनेगा और औसत उम्र 30 साल बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि इस क्षमता को देखकर यूरोपीय निवेशकों का भरोसा और मजबूत हुआ है।
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