Gurugram News(आज समाज नेटवर्क)गुरुग्राम। जैकमपुरा स्थित श्री दुर्गा रामलीला कमेटी की लीला में दिखाया गया रामलीला मंचन के आठवें दिन की लीला में अपनी कटी हुई नाक लेकर शूर्पणखा अपने भाई रावण के दरबार में पहुँची। रावण ने पूछा कि किसने तेरी नाक काटी है। वह बोली, अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र हैं। वे सिंह के समान हैं। वन में शिकार खेलने आए हैं। मुझे लगता है कि वे पृथ्वी को राक्षसों से रहित कर देंगें। वे शोभा के धाम हैं, राम उनका नाम है। उसके साथ एक सुंदर स्त्री भी है। उससे सुंदर स्त्री आज तक नहीं देखी।

उन्हीं के छोटे भाई ने मेरी नाक काटी है।रावण ने ये समाचार सुनकर कहा कि ये समाचार ये दुराचार क्या खर-दूषण को नहीं कहा, उनका तो वही ठिकाना था, क्या कुलभूषन को नहीं कहा। जिसका जवाब देते हुए शूर्पणखा ने कहा कि-खर दूषण सहायता के लिए गई थी लेकिन उन्हें भी उसने मार डाला। रावण सोचते हैं-निश्चय ही वो अवतारी है तो उनसे बैर भाव रखूंगा मैं। इसी बीच एक बार फिर से दरबार में राम-सीता को दिखाया गया।

लक्ष्मण कंद-मूल फल लेने के लिए वन में गए, तब अकेले में रामचंद्र जी ने हंसकर सीता जी से कहा-सुनो सीते, अब मैं कुछ मनोहारी मनुष्य लीला करुंगा, इसलिए जब तक मैं राक्षसों का नाश करूं, तब तक तुम अग्नि में निवास करो। जैसे ही राम जी ने कहा तो सीता जी अग्नि में समा गई। सीता जी ने अपनी छाया वहां छोड़ दी। वह उनके जैसी ही दिखने वाली थी। श्री राम ने जो लीला रची, इसे लक्ष्मण ने भी नहीं जाना-

लछिमनहूं यह मरमु न जाना। जो कछु चरित रचा भगवाना

इसके बाद लीला में रावण को अपने दरबार में दिखाया गया। रावण अपनी बहन की कटी नाक का बदला लेने के लिए एक योजना बना चुके हैं। वे अपने मामा मारिच (तेजिन्दर सैनी) के पास जाते हैं। मारिच को वे कहते हैं कि वह सोने का मृग बनके चित्रकूट पर विचरण करे और राम-लक्ष्मण को वहां से दूर जाने पर विवश करे। रावण के साथ संवाद करते हुए मारिच कहते हैं-हे महाराज, मैं आपको कुछ ज्ञान की बातें बताता हूं। सती, संत, गुरु, ब्राह्मण, खास पड़ौसी, वैद्य, हकीम और आपका दास। इन सब से इंसान को कभी बैर नहीं रखना चाहिए।

जो इनसे बैर बढ़ाता है, वो आखिर मारा जाता है। मारिच बोले-कूदकर अग्नि में फिर बचने का कोई बहाना ही नहीं, राम के बैरी को इस दुनिया में ठिकाना ही नहीं। मारिच की बातों को अनसुना करके रावण मारिच से कहता है कि जल्दी से निणज़्य ले ले, अगर सोने का मृग बनना है तो सही है नहीं तो अभी उसका वध कर देगा। डर के मारे मारिच रावण की बात को मानकर सोने का मृग बनकर उस स्थान की ओर चला जाता है, जहां पर राम, सीता, लक्ष्मण रह रहे थे।

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