विस्फोटक छिपाने के लिए धौज और फतेहपुर तागा तलाशे कमरे
Delhi Blast Update, (आज समाज), नई दिल्ली/फरीदाबाद: दिल्ली स्थित लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास सोमवार शाम को हुए कार धमाके में मरने वालों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है। इस मामले में अभी तक आतंकियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इस बीच सूत्रों ने बताया कि ब्लास्ट किसी बड़ी साजिश का हिस्सा था। मामले में गिरफ्तार 8 आतंकियों से शुरूआती पूछताछ में ऐसे संकेत मिले हैं कि कई बड़े शहरों में सीरियल ब्लास्ट की साजिश थी। वहीं मामले में नया खुलासा हुआ है।

आतंकी माड्यूल कई महीनों से मुंबई के 26/11 हमले जैसे बड़े धमाकों की प्लानिंग कर रहा था। यह साजिश जनवरी 2025 से चल रही थी। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा, शोपियां और अनंतनाग के रैडिकलाइज्ड युवा डॉक्टरों ने व्हाइट कॉलर कवर के तहत फरीदाबाद में बेस बनाया। इनका मकसद था कोई संदेह न हो क्योंकि डॉक्टरों का प्रोफेशन उन्हें आसानी से एनसीआर में घूमने- फिरने की आजादी देता है।

विस्फोटक छिपाने के लिए धौज और फतेहपुर तागा में ऐसे कमरे तलाशे गए, जहां बेरोक-टोक जाया जा सके। यहां शक की गुंजाइश भी कम थी। धौज और फतेहपुर तागा क्षेत्र मुस्लिम बाहुल्य हैं। जांच एजेंसियां इस एंगल से भी जांच कर रही हैं कि कहीं दिल्ली-एनसीआर में 26 नवंबर (26/11) के आसपास तो हमले की साजिश नहीं थी?

अल-फलाह यूनिवर्सिटी रही साजिश का केंद्र

आतंकियों ने दिल्ली-एनसीआर में आसानी से मूवमेंट करने के लिए जानबूझ कर गुरुग्राम नंबर की आई-20 कार खरीदी। जिसे आरोपियों ने साजिश की मोबाइल लैब बना लिया और इसी से विस्फोटक दिल्ली लाया गया। पूरी साजिश का केंद्र धौज में अल-फलाह यूनिवर्सिटी रहा। शिक्षा का केंद्र होने की वजह से इस पर शक की गुंजाइश कम थी। पकड़े गए आरोपी मेडिकल प्रोफेशन से हैं।

इन प्रमुख स्थानों हमले की तैयारी में थे आतंकी

पुलिस के अनुसार, मॉड्यूल ने 200 से अधिक शक्तिशाली आईईडी तैयार करने की योजना बनाई थी, जो दिल्ली, गुरुग्राम और फरीदाबाद के हाई-प्रोफाइल टारगेट्स पर एक साथ इस्तेमाल होते। टारगेट्स में लाल किला, इंडिया गेट, कांस्टीट्यूशन क्लब, गौरी शंकर मंदिर, प्रमुख रेलवे स्टेशन और मॉल्स शामिल थे। खासतौर पर धार्मिक स्थलों को निशाना बनाने की प्लानिंग थी, ताकि साम्प्रदायिक तनाव भड़क सके।

पिछले दो सालों से विस्फोटक जमा कर रही थी शाहीन

कार धमाके को लेकर अहम खुलासे हुए हैं। इस मामले में गिरफ्तार फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल में शामिल डॉ. शाहीन शाहिद ने कबूल किया है कि वह अपने साथी आतंकी डॉक्टरों के साथ मिलकर देश भर में हमलों की साजिश रच रही थी। शाहीन ने पूछताछ के दौरान बताया कि वह पिछले दो सालों से विस्फोटक जमा कर रही थी। धमाके वाले दिन आई 20 कार लाल किला पहुंचने से पहले दिल्ली के कई इलाकों से गुजरी थी। कार दोपहर 2:30 बजे कनॉट प्लेस पहुंची थी और कुछ देर बाद वहां से निकल गई।

पुलिस की छापेमारी से दवाब में आ गया था उमर, अधूरा आईईडी किया तैयार

सूत्रों से पता चला है कि दिल्ली-एनसीआर और पुलवामा में लगातार छापेमारी से उमर दबाव में आ गया था। इसके बाद जल्दबाजी में अधूरा आईईडी तैयार किया गया, जिससे कार में विस्फोट हो गया। इसलिए विस्फोट का असर सीमित रहा और क्रेटर या छर्रे नहीं मिले।

अल फलाह यूनिवर्सिटी में करीब 40% डॉक्टर कश्मीर के

बम धमाके के एक दिन बाद जांच एजेंसियों का फोकस फरीदाबाद की अलफलाह यूनिवर्सिटी पर आ गया। 11 नवंबर को दिन भर यूनिवर्सिटी कैंपस में दिल्ली और हरियाणा पुलिस की टीमें सर्च आॅपरेशन करती रहीं। कैंपस में पढ़ने वालों से भी पूछताछ की। पुलिस के मुताबिक, यहां के तीन डॉक्टरों के नाम टेरर मॉड्यूल में सामने आए हैं।

मुजम्मिल अहमद गनाई, आदिल मजीद राथर और उमर नबी सीनियर रेसिडेंट डॉक्टर थे और यूनिवर्सिटी में नौकरी करते थे। सूत्रों के मुताबिक पुलिस ने मुजम्मिल और उमर को जानने वालों से पूछताछ की है और करीब 14 लोगों को हिरासत में लिया है। इनमें ज्यादातर जूनियर डॉक्टर बताए जा रहे हैं। अल फलाह यूनिवर्सिटी में करीब 40% डॉक्टर कश्मीर के हैं।

एक पोस्टर से पूरे नेटवर्क तक पहुंची पुलिस

27 अक्टूबर को श्रीनगर के नौगाम में आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के समर्थन वाले पोस्टर मिले थे। इस मामले में तीन लोगों को अरेस्ट किया गया। ये कभी श्रीनगर में पत्थरबाजी में शामिल रहे थे। उन्होंने पुलिस को मौलवी इरफान अहमद तक पहुंचाया। मौलवी से मिली जानकारी के आधार पर पुलिस ने डॉ. आदिल और जमीर अहनगर को गिरफ्तार किया।

दोनों इरफान के साथ काम करते थे। उनसे पूछताछ के आधार पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने डॉ. मुजम्मिल शकील का पता लगाया। मुजम्मिल फरीदाबाद के धौज में अलफलाह यूनिवर्सिटी में काम करता था। मौलवी का संबंध डॉ. उमर से भी था, जिसे दिल्ली ब्लास्ट के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। फरीदाबाद मॉड्यूल का पर्दाफाश होने के बाद उसने घबराहट में यह हमला किया।

कौन है मौलवी इरफान अहमद

सूत्रों से मिली जानकारी से पता चला है कि फरीदाबाद मॉड्यूल में शामिल सभी डॉक्टरों को मौलवी इरफान अहमद ने कट्टरपंथी बनाया था। वह श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में काम करता था और सभी स्टूडेंट के संपर्क में था। इरफान नौगाम मस्जिद का इमाम भी था।

अल-फलाह यूनिवर्सिटी की 1997 में हुई थी स्थापना, 2013 में नैक ग्रेड मिला

अल-फलाह यूनिवर्सिटी की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक यूनिवर्सिटी की स्थापना हरियाणा विधानसभा की ओर से हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत की गई थी। इसकी शुरूआत 1997 में एक इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में हुई थी।

साल 2013 में अल-फलाह इंजीनियरिंग कॉलेज को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल द्वारा ‘ए’ श्रेणी में प्रमाणित किया गया। साल 2014 में हरियाणा की राज्य सरकार द्वारा अल-फलाह को विश्वविद्यालय की श्रेणी प्रदान की गई। अल-फलाह मेडिकल कॉलेज भी यूनिवर्सिटी से ही अटैच है।

7 डॉक्टर्स समेत 13 लोग हिरासत में

दिल्ली में ब्लास्ट के बाद फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी इंटरनेशनल लेवल पर सुर्खियों में आ गई है। मुजम्मिल कई साल से यहां जनरल फिजिशियन के तौर पर नौकरी कर रहा था और कैंपस के अंदर ही डॉक्टर क्वार्टर्स में रहता था। 7 डाक्टरों समेत 13 लोगों को यहां से हिरासत में लिया है। जिसके बाद जांच एजेंसियों की नजर अब मुस्लिम बहुल धौज गांव में 76 एकड़ के विशाल परिसर वाली अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर टिक गई है।

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