अमेरिका का सुप्रीम कोर्ट आज करेगा सुनवाई, बदल सकता है 90 साल पुराना फैसला
Donald Trump (आज समाज), नई दिल्ली : डोनाल्ड ट्रंप जब से अमेरिका के दूसरी बार राष्टÑपति बने हैं तभी से वे अपनी शक्तियों को लगातार बढ़ा रहे हैं। वे ऐसे फैसले लेने के लिए खुद को सशक्त कर रहे हैं जिससे दुनिया हैरान हो रही है। ऐसा ही एक फैसला आज हो सकता है जिससे अमेरिकी राष्टÑपति की शक्तियों में और भी ज्यादा विस्तार हो जाएगा। यदि आज अमेरिका का सुप्रीम कोर्ट 90 साल पुराने फैसले को बदल देता है तो अमेरिकी राष्टÑपति अपनी मर्जी से स्वतंत्र एजेंसियों के अधिकारियों को हटा सकेंगे। हालांकि इस फैसले के आने से पहले ही अमेरिका में विरोध के सुर उठने शुरू हो चुके हैं।
पहले से कई अधिकारियों को हटा चुके हैं ट्रंप
ट्रंप पहले ही कई एजेंसियों के अधिकारियों को हटा चुके हैं और अदालत ने भी ज्यादातर मामलों में उन्हें छूट दी है। मामला असल में फेडरल ट्रेड कमीशन की सदस्य रेबेका स्लॉटर की बर्खास्तगी से जुड़ा है। यही एजेंसी 1935 के ऐतिहासिक फैसले में भी थी। उस समय अदालत ने कहा था कि राष्ट्रपति बिना कारण एजेंसी प्रमुखों को नहीं हटा सकते। इसी फैसले से अमेरिका में स्वतंत्र एजेंसियों के अधिकार मजबूत हुए थे। अब ट्रंप सरकार और उनके समर्थक इसे बदलना चाहते हैं और ‘यूनिटरी एग्जीक्यूटिव’ सिद्धांत को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसके तहत राष्ट्रपति को पूरा अधिकार मिल जाता है।
फेडरल रिजर्व की गवर्नर पर भी बढ़ेगा दबाव
इस मामले का असर फेडरल रिजर्व की गवर्नर लिसा कुक पर भी पड़ सकता है, जिन्हें हटाने में अदालत ने सावधानी बरती है। अदालत जनवरी में इस पर अलग सुनवाई करेगी कि क्या हटाए गए अधिकारी को दोबारा नियुक्त भी किया जा सकता है या सिर्फ मुआवजा मिलेगा। अदालत का अंतिम फैसला आने पर अमेरिका की प्रशासनिक व्यवस्था पर बड़ा असर पड़ेगा और राष्ट्रपति की शक्तियों का दायरा पहले से काफी बड़ा हो सकता है।
अदालत के रुख पर सवाल
कानूनी विशेषज्ञों और इतिहासकारों का कहना है कि अदालत जिस तरह से राष्ट्रपति के हटाने के अधिकार को बढ़ा रही है, वह संविधान की मूल भावना से मेल नहीं खाता। वर्जीनिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर केलिब नेल्सन ने कहा है कि संविधान के इतिहास में राष्ट्रपति को इतनी व्यापक शक्ति देने का आधार नहीं मिलता। कई इतिहासकारों ने अदालत को दस्तावेज भेजकर बताया है कि शुरूआती दौर में भी यह शक्ति सीमित थी। लेकिन कई विशेषज्ञों को उम्मीद नहीं है कि अदालत अपना रुख बदलेगी।
ये भी पढ़ें : Indigo Flight Crisis : 800 से ज्यादा उड़ान हुई रद, हवाई अड्डों पर बिगड़ रहे हालात