Charkhi Dadri News(आज समाज नेटवर्क)बाढड़ा। कस्बे की अनाज मंडी में किसानों का बीमा क्लेम मुआवजे को लेकर धरना लगातार 50 दिनों से जारी है। अपनी फसल के नुकसान की भरपाई की मांग को लेकर एकत्रित हुए किसानों ने प्रशासन और सरकार के खिलाफ नाराजगी जताई।संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा वर्ष 2023 व वर्ष 2023 के बकाया मुआवजे की मांग को लेकर संचालित धरने को संबोधित करते हुए श्योराण खाप के प्रधान विजेंद्र बेरला ने कहा कि किसानों के धैर्य की परीक्षा ली जा रही है, जो अब बर्दाश्त के बाहर हो चुकी है। उन्होंने सरकार से तुरंत मुआवजे की राशि जारी करने की मांग करते हुए कहा कि किसान हितैषी होने का दिखावा करने वाली सरकार को धरने पर बैठे किसान नहीं दिखाई दे रहे हैं।

किसानों के साथ 350 करोड़ का बीमा क्लेम कंपनी ने नहीं दिया वो सरकार की मिलीभगत के संभव नहीं हो सकता। किसान को सरकार कमजोर ना समझे। किसानों ने कई बार सिद्ध किया है कि वो अपनी मांगों से कभी पीछे नहीं हटते। किसान नेता राजकुमार हड़ौदी ने सरकार को किसान विरोधी बताते हुए कहा कि सरकार केवल वादे करती है, लेकिन ज़मीन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं करती। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर जल्द समाधान नहीं हुआ, तो आंदोलन को और तेज़ किया जाएगा। धरने में बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए और एकजुट होकर सरकार से अपने हक की मांग की। किसानों ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक मुआवजा नहीं मिलेगा, धरना जारी रहेगा। इस अवसर किसान नेता रणधीर कुंगड़, भूप सिंह धारणी, मास्टर रघबीर सिंह काकडोली, पारस काकड़ोली, भूपसिंह दलाल, नरेश कादयान, ब्रह्मपाल, प्रताप हंसावास, रणधीर हुई, कर्ण सिंह आदि मौजूद रहे।

सरकार पूंजीपनतियों के दबाव में किसान हितों की बलि चढा रही

किसान नेता राजकुमार हड़ौदी व मा. रघबीर श्योराण काकड़ौली ने ने कहा कि प्रदेश भर में पिछले तीन सप्ताह से लगातार बरसात हो रही है जिसके बाजरा , कपास, गवार व मूंग की फसल पूरी तरह से खराबे के भेट चढ़ गई है। लगातार बरसात से बाजरा व कपास अंकुरित हो गई है। किसानों का कहना है कि डीएपी व युरिया खाद का प्रबंध किया जाए। ताकि किसानों को किसी प्रकार की समस्याओं का सामना ना करना पड़ें। वित्त मंत्रालय ने कपास पर लगने वाले 11 प्रतिशत आयात शुल्क को तत्काल प्रभाव से खत्म करने का निर्णय किया है और सरकार के इस फैसले को देश भर के कपास पैदा करने वाले किसानों को उजाडऩे वाला निर्णय बताया है।

आयात शुल्क समाप्त होने से कपास की घरेलू कीमत पर सीधा असर पड़ेगा। बाहर से कपास सस्ती कीमतों पर बाजार में आएगी जिससे हमारे कपास की कीमतें निश्चित रूप से गिरेंगी और किसानों को और अधिक संकट और कर्ज का सामना करना पड़ेगा। सरकार ने ऐसा कर देश के किसानों के साथ विश्वासघात किया और कहा 2023 कपास बीमा मुआवजा में कृषि विभाग के अधिकारियों ने कंपनी से मिल कर चुनाव आचार संहिता के चलते जिला भिवानी व चरखी-दादरी जिलों के 450 करोड़ रुपयों के 1लेम को लगभग सौ करोड़ रुपये कर, 350 करोड़ रुपयों का घोटाला किया । इतना ही नहीं हरियाणा भर में वर्ष 2022-2023 में जहां फसल बीमा 1लेम 2497 करोड़ रुपये मिला, चुनावी वर्ष 2023-24 में यह 1लेम सिर्फ 224 करोड़ रुपये किसानों को दिया गया है जो उनके साथ भद्दा मजाक है।

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