अब मिलेगी भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर को रफ्तार
Business News Hindi (आज समाज), बिजनेस डेस्क : भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले कुछ माह से लगातार दबाव में थी। अगस्त में अमेरिका द्वारा लगाया गया उच्च टैरिफ और विपरीत वैश्विक परिवेश से जहां विश्व की लगभग सभी अर्थव्यवस्थाएं असमंजस की स्थिति में थी वहीं भारत का भी वही हाल था। लेकिन भारत की उच्च घरेलु मांग के सहारे भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार विकास पथ पर अग्रसर रही। यही कारण है कि एक तरफ जहां विश्व की सभी विकासशील अर्थव्यवस्थाएं अमेरिकी टैरिफ से बेहाल दिखाई दी वहीं भारत ने अपनी विकास दर बनाए रखी।
अब साफ दिखाई देने लगे सुधार के संकेत
भारत की अर्थव्यवस्था में अब सुधार के संकेत दिखने लगे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू विकास चक्र अपने निचले स्तर से ऊपर उठने की ओर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कम ब्याज दरें, पर्याप्त तरलता, कच्चे तेल की गिरती कीमतें और सामान्य मानसून जैसे कारक आने वाले महीनों में विकास को रफ्तार दे सकते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भले ही वैश्विक व्यापार अनिश्चितता फिलहाल निजी निवेश (कैपेक्स) के लिए चुनौती बनी हुई हैं, लेकिन मध्यम अवधि में भारत का निवेश चक्र मजबूत बना रहने की संभावना है। इसमें बतया गया है कि सरकार की ओर से बुनियादी ढांचे और विनिर्माण क्षेत्र में बढ़ता निवेश, निजी क्षेत्र की निवेश गतिविधियों में तेजी और रियल एस्टेट सेक्टर में सुधार इस रुझान को आगे बढ़ाएंगे।
जीडीपी में रिकॉर्ड तेजी का अनुमान
विपरीत वैश्विक परिस्थितियों और अमेरिकी टैरिफ के बावजूद भी भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी से वृद्धि जारी है। यह अन्य सभी विकासशील देशों के मुकाबले अच्छी दर से विकास कर रही है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि देश में मजबूत मांग के चलते अर्थव्यवस्था में वृद्धि दर बनी हुई है। यह घरेलु मांग ही है जिससे हमारे देश की अर्थव्यवस्था को बाहरी कारक ज्यादा प्रभावित नहीं कर पा रहे। अप्रैल-जून में वास्तविक जीडीपी की वृद्धि दर पांच तिमाहियों में सबसे तेज 7.8 फीसदी रही थी, जबकि 2024-25 की दूसरी तिमाही में यह 5.6 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी थी।
नवंबर अंत में जारी होंगे आंकड़े
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) 28 नवंबर को चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के जीडीपी वृद्धि के आंकड़े जारी करेगा। रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने बुधवार को एक रिपोर्ट में कहा, वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में निजी खपत सालाना आधार पर आठ फीसदी बढ़ेगी। वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में यह सात फीसदी और दूसरी तिमाही में 6.4 फीसदी बढ़ी थी।