जरूरत की लगभग सभी वस्तुओं के 7 प्रतिशत तक सस्ता होने का अनुमान, नई प्रणाली से करीब 10 लाख वस्तुओं के गिरेंगे दाम
GST New Rates (आज समाज), बिजनेस डेस्क : इस बार जब स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देश की जनता को संबोधित करते हुए जीएसटी पर बात की तो किसी ने नहीं सोचा था कि यह आम आदमी की जिंदगी में कितना बड़ा बदलाव लाएगी। हालांकि अभी भी यह फाइनल नहीं है कि पीएम और केंद्र सरकार की पॉलिसी का स्पष्ट रूप क्या होगा। लेकिन पीएम मोदी की तरफ से की गई घोषणा के बाद वित्त मंत्रालय की तरफ से जो संकेत मिल रहे हैं उससे यह स्पष्ट है कि यह नीति अमेरिका की टैरिफ दरों से निपटने के लिए सरकार का एक सटीक प्रहार है जिससे देश की जनता को पूरा लाभ मिलेगा।
इस तरह जीएसटी स्लैब में होगा बदलाव
अभी जीएसटी में 4 टैक्स स्लैब 5%, 12%, 18% और 28% हैं। सुधार के बाद दो स्लैब 5% और 18% ही रहेंगे। इससे 12% जीएसटी के दायरे में आने वाली मक्खन, फ्रूट जूस, ड्राय फ्रूट्स जैसी 99% वस्तुएं 5% के दायरे में आ जाएंगी। सीधे तौर पर कहें तो ये वस्तुएं 7% सस्ती हो जाएंगी। ऐसे ही 28% टैक्स के दायरे में आने वाली सीमेंट, एसी, टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन जैसी 90% वस्तुएं 18% के स्लैब में आ जाएंगी। यानी 10% तक सस्ती। सरकार ने टैक्स रेट में स्थिरता लाने और इनपुट टैक्स क्रेडिट के जटिल सिस्टम को आसान बनाने के लिए यह कदम उठाया है।
आने वाले समय में होगा ज्यादा परिवर्तन
इसके साथ ही वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि 2047 में एक समान टैक्स स्लैब होगा। इस दिशा में दो स्लैब लाना पहला कदम है। सरकार ने जीएसटी रिफॉर्म का यह प्रस्ताव राज्यों के वित्त मंत्रियों के समूह को भेजा है। समूह इस पर अध्ययन करेगा। जानकारी के अनुसार नई प्रणाली लागू होने से 40 हजार का फ्रिज 4 हजार तो 80 हजार की टीवी 8 हजार तक सस्ती होगी। जीएसटी के दायरे में अभी 10 लाख से ज्यादा वस्तुएं हैं। प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा को समझें तो नए सुधारों का सीधे तौर पर आमजन को फायदा होगा।
जीएसटी परिषद् की बैठक में होगा अंतिम निर्णय
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद, जिसमें राज्यों के मंत्री शामिल होंगे, की सितंबर में बैठक होने की उम्मीद है। इसमें दरों को युक्तिसंगत बनाने पर जीओएम के प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी। मंत्रालय ने कहा कि क्षतिपूर्ति उपकर की समाप्ति से राजकोषीय गुंजाइश बनी है। इससे दीर्घकालिक स्थिरता के लिए जीएसटी ढांचे के भीतर कर दरों को युक्तिसंगत बनाने के लिए अधिक लचीलापन उपलब्ध हुआ है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस बैठक में जीएसटी की दरों पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
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