Supreme Court: रोहिंग्या शरणार्थी घुसपैठिए, उनके लिए रेड कार्पेट नहीं बिछा सकते

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Supreme Court: रोहिंग्या शरणार्थी घुसपैठिए, उनके लिए रेड कार्पेट नहीं बिछा सकते

Supreme Court On Rohingya, (आज समाज) , नई दिल्ली : नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने लापता रोहिंग्या शरणार्थियों का पता लगाने के लिए दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर कड़ी नाराजगी जताई है। याचिका में पांच रोहिंग्याओं के लापता होने को लेकर चिंता जाहिर की गई थी और इसके लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है। हालांकि शीर्ष कोर्ट ने मामले में सुनवाई को टालते हुए याचिका को खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत (Chief Justice Surya Kant) ने मामले में सख्त टिप्पणी की। वह याचिका को देखते हुए आग बबूला हो गए।

आप जानते हैं रोहिंग्या घुसपैठिए हैं : सीजेआई 

सीजेआई ने याचिकाकर्ताओं से कहा, आप जानते हैं रोहिंग्या घुसपैठिए हैं। वे गैर-कानूनी तरीके से भारत में घुसते हैं और हम उनके लिए कार्पेट नहीं बिछा सकते। पांच रोहिंग्या शरणार्थियों की कथित हिरासत में गायब होने की याचिका पर सीजेआई की पीठ ने यह टिप्पणी की। कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी करने के याचिकर्ताओं के आग्रह से इनकार कर दिया और मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर तक टाल दी। 16 दिसंबर को रोहिंग्या से जुड़े कुछ और मामले भी सूचीबद्ध हैं।

देश में क्या-क्या हो रहा है, क्या आप जानते हैं

पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा, देश में क्या-क्या हो रहा है, क्या आप जानते हैं? उन्होंने कहा, आप जानते हैं, रोहिंग्या सुरंगों से भारत में घुसते हैं और फिर आप कह रहे हैं कि उन्हें आश्रय, खाना व उनके बच्चों के लिए शिक्षा, क्या हम अपने कानून को इतना विस्तार दे दें। कोर्ट ने कहा, हैबियस कॉर्पस जैसी बातें बहुत कल्पनात्मक हैं। सीजेआई की पीठ ने यह भी टिप्पणी की कि देश की सुरक्षा व सीमाओं की स्थिति के मद्देनजर ऐसी याचिकाओं पर सहानुभूति दिखाना आसान नहीं है।

कई साल से विवादास्पद रहा है मुद्दा, देश में 40,000 रोहिंग्या

बता दें कि रोहिंग्या शरणार्थियों का मुद्दा बीते कई वर्षों से विवादास्पद रहा है। केंद्र सरकार कई बार कह चुकी है कि रोहिंग्या भारत के नागरिक नहीं हैं और ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में भी उनके निर्वासन को प्रतिबंधित करने से इनकार किया था। वर्तमान में देशभर में लगभग 40,000 रोहिंग्या रह रहे हैं, जिनमें से अधिकतर बिना वैध दस्तावेज यहां निवास कर रहे हैं।

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