Supreme Court Verdict On Surrogacy Law, (आज समाज), नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज सरोगेसी अधिनियम पर बड़ा फैसला सुनाया। बढ़ती उम्र को चिंता का कारण बताने के लिए अदालत ने सरकार को फटकार भी लगाई। जस्टिस बीवी नागरथना और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि यह सरकार तय नहीं कर सकती कि कौन दंपत्ति कब मां-बाप बन सकते हैं।

इन  दंपतियों पर लागू नहीं होगी एक्ट की आयु सीमा

जजों ने कहा, सरोगेसी एक्ट की आयु सीमा उन दंपतियों पर लागू नहीं होगी जिन्होंने सरोगेसी से संबंधित कानून (सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021) लागू होने से पहले भ्रूण जमा किए थे। यानी सरोगेसी की प्रक्रिया शुरू की थी और अब वे इसे जारी रखना चाहते हैं। ऐसे दंपति कानून में निर्धारित उम्र की सीमा से ज्यादा होने पर भी सरोगेसी की प्रक्रिया जारी रख सकते हैं। मौजूदा कानून में सरोगेसी के लिए महिला की उम्र 23 से 50 वर्ष और पुरुष की उम्र 26 से 55 वर्ष के बीच होनी चाहिए।

पिछली तारीख से लागू नहीं होगी आयु सीमा

पीठ ने कहा, ऐसे दंपतियों का सरोगेसी का अधिकार तभी साफ हो गया था जब उन्होंने कानून लागू होने से पहले अपने भ्रूण को फ्रीज करवाया था। तब कोई आयु सीमा लागू नहीं थी, इसलिए एक्ट में निर्धारित आयु सीमा इन मामलों में पिछली तारीख से लागू नहीं होगी। शीर्ष कोर्ट ने साफ किया कि सरोगेसी प्रक्रिया की शुरुआत तब मानी जाएगी जब गैमेट्स (शुक्राणु व अंडाणु) निकाले जा चुके हों और भ्रूण को फ्रीज कर लिया गया हो।

पीठ ने कहा, इस चरण के बाद दंपति को कुछ और करने की जरूरत नहीं रहती। इसकी वजह यह होती है, क्योंकि अगला कदम भ्रूण को सरोगेट मां के गर्भ में प्रत्यारोपित करना होता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि पालन-पोषण की क्षमता व गैमेट की गुणवत्ता को लेकर चिंताएं विधायिका के लिए सही हो सकती हैं, पर ये वजहें कानून को पिछली तारीख से लागू करने के लिए अपर्याप्त हैं। इसका कारण यह है, क्योंकि राज्य सरकारें स्वाभाविक रूप से संतान चाहने वाले दंपतियों को बिना आयु सीमा यह अनुमति देती हैं।

यह थी केंद्र सरकार की दलील

केंद्र सरकार की दलील दी थी कि बुजुर्ग दंपति बच्चे के पालन-पोषण के लिए उपयुक्त नहीं होंगे। पीठ ने इसे मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार यह तय नहीं कर सकती कि कोई दंपति मां-बाप बनने के योग्य है अथवा नहीं, खास तौर पर तब जब नेचुरल तरीके से गर्भधारण करने वाले दंपतियों पर उम्र की कोई सीमा लागू नहीं है।

तीन मामलों की सुनवाई कर रही थी अदालत

अदालत सरोगेसी एक्ट के तहत पात्रता प्रमाणपत्र जारी करने से संबंधित 3 मामलों की सुनवाई कर रही थी। पीठ ने यह भी कहा, अगर कोई अन्य दंपति इस फैसले के लाभ का इच्छुक है, तो वह अपने क्षेत्राधिकार वाले हाई कोर्ट जो सकता है ताकि इस फैसले को उसके मामले में भी लागू किया जा सके।

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