HomeपंजाबUncategorizedSATIRE: बैताल फिर डाल पर

SATIRE: बैताल फिर डाल पर

अरे विक्रम आज तूं ये गरीब जैसा क्यों नजर आ रहा है। तूं जो राजा है, फिर ये गरीबों वाला स्वांग क्यों रच रहा है। क्या हो गया है तुझे?
बैताल, तूं ही बता चुनाव के इस माहौल में सबसे ज्यादा किसकी पूछ हो रही है?
हां वो तो है गरीब ही इन दिनों ट्रेंड में चल रहे हैं।
वही तो बैताल। देख राजा महाराजा तो अब चले गए हैं तेल लेने। उन्हें तो कोई पूछता है नहीं। ऐसे में मैं गरीब बनकर राजा वाली फिलिंग ले रहा हूं। और फिर गरीब रहने में आर्थिक फायदा भी होने वाला है।
वो कैसे विक्रम?
तूने राजकुमार का भाषण नहीं सुना। उसने कहा है कि गरीबों को हर साल 72 हजार रुपए दिए जाएंगे। उधर, चौकीदार ने पहले ही छह हजार रुपए साल के देने शुरू कर दिए हैं।
बैताल, मेरी बात मान और तूं भी गरीब बन जा।
बन तो जाऊं विक्रम, पर तूं मेरे एक सवाल का जवाब दे। मुझे ये बता कि चौकीदार जो छह हजार रुपए दे रहा है, क्या वो राजकुमार के राजा बनने के बाद भी मिलता रहेगा। या फिर उस पर कांटा मार दिया जाएगा।
तूं भी न बैताल, कैसे कैसा गणित लेकर बैठ जाता है। मुझे सोचने दे। एक्सपर्ट व्यू लेने दे।
ठीक है तूं एक्सपर्ट व्यू ले, तब तक मैं भी अपने डाल पर बैठकर गरीबी पर चिंतन मनन करता हूं।
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