Special on the death anniversary of Gopal Das Neeraj: गोपाल दास नीरज की पुण्यतिथि पर विशेष -खिलते हैं गुल(नीरज) यहां, खिल के बिखरने को

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पद्मभूषण से सम्मानित कवि व गीतकार गोपालदास सक्सेना नीरज ने हिंदी फिल्मों के गीतों की बगिया में एक से बढ़कर एक खूबसूरत गीतों के फूल खिलाए थे। इन गीतों की कभी ना खत्म होनेवाली खूशबू हमेशा मधुर गीत सुननेवालों को महकाएगी।
नीरज का जन्म 4 जनवरी 1925 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरावली गांव में हुआ था। जब ये मात्र 6 वर्ष हुए तो सिर से पिता का साया हट गया। शुरुआत में इटावा की कचहरी में कुछ समय तक टाइपिस्ट का काम किया। उसके बाद सिनेमाघर की एक दुकान पर भी नौकरी की। इसके बाद लम्बी बेकारी काटने के बाद दिल्ली जाकर सफाई विभाग में टाइपिस्ट की नौकरी की। वहां से नौकरी छूट जाने पर कानपुर के डीएवी कॉलेज में क्लर्की की। उन्होंने मेरठ कॉलेज में हिन्दी प्रवक्ता के पद पर कुछ समय तक अध्यापन भी किया।
इस दौरान उन्होंने कविताएं व गजलें लिखनी शुरू कीं। नीरज को कवि सम्मेलनों में काफी पंसद किया जाने लगा था। उनकी लोकप्रियता इतनी बढ़ी कि उनकी कई कविताओं के अनुवाद गुजराती, मराठी, बंगाली, पंजाबी, रूसी आदि भाषाओं में हुए। साहित्यकार दिनकर उन्हें हिंदी की वीणा मानते थे।
देवानंद लाए थे फिल्मी गीतों के संसार में
अभिनेता देवानंद ने नीरज को पहली बार मुंबई में कवि सम्मेलन में सुना था। नीरज उन्हें इतने पसंद आए कि उन्होंने नीरज से कहा, मुझे आपकी भाषा पसंद आई। हम किसी दिन साथ में काम करेंगे। 60 के दशक के अंत में जब नीरज को पता चला कि देवानंद प्रेम पुजारी नाम की फिल्म बनाने जा रहे है। नीरज ने उन्हें खत लिख कर उनके वादे की याद दिलाई। देवानंद ने उन्हें मुंबई बुलाया। उन्हें 1000 रुपये दिए और संगीतकार एसडी बर्मन के पास ले गए। सचिन दा ने नीरज को कहा कि वे एक गाना चाहते हैं जो रंगीला शब्द से शुरू हो। इस तरह से रंगीला रे तेरे रंग में रंगा है मेरा रंग.. जैसे यादगार गीत का जन्म हुआ। नीरज ने साक्षात्कार में बताया था कि एसडी बर्मन ने बाद में उन्हें खुद बताया था, च्च्मैंने तुम्हें फेल करने के लिए एक कठिन धुन दी थी लेकिन तुमने मुझे ही यह बेहतरीन गीत देकर फेल कर दिया।
सिर्फ पांच साल के फिल्मी करियर में दिए दर्जनों अनमोल गीत
गोपाल दास नीरज का फि़ल्मी सफऱ सिर्फ पाँच साल का ही रहा था लेकिन इस दौरान उन्होंने कई प्रसिद्ध फि़ल्मों के गीतों की रचना की।
एसडी बर्मन के साथ बनी जोड़ी
 एसडी बर्मन और नीरज की जोड़ी ने कई बेहतरीन गीतों का उपहार हिंदी फिल्मों को दिया है। इनमें शर्मीली, गैम्बलर और तेरे मेरे सपने के गीत शामिल हैं। नीरज बताते हैं कि एसडी बर्मन ने नीरज से शमा, परवाना, शराब, तमन्ना, जानेमन, जान और इश्क जैसे शब्दों का इस्तेमाल बंद करने को कहा। इस परं नीरज ने अपने गीतों में बगिया, मधुर, गीतांजलि, माला, धागा जैसे शब्दों का प्रयोग करना शुरू किया।
नीरज ने शंकर जयकिशन को खुद ही बताई थी अपने गाने की धुन
नीरज ने मशहूर संगीतकार  शंकर-जयकिशन के साथ भी काम किया है। इनके साथ लिखे जो खत तुझे और आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं जैसे बेहतरीन गाने दिये। नीरज ने शंकर-जयकिशन के लिए राजकपूर की फिल्म मेरा नाम जोकर (1970) के लिए   ए भाई जरा देख के चलो.. गाना लिखा था। इस गाने को देखकर उन्होंने नीरज से कहा कि इसका म्यूजिक देना तो नामुमकिन है। क्योंकि इसमें कोई मुखड़ा नहीं है। ऐसे में नीरज ने खुद अपनी धुन उन्हें सुझाई।
कारवाँ गुजर गया गुबार देखते रहे
नीरज ने एसडी बर्मन के गुजरने और शंकर-जयकिशन के दौर के खत्म होने के बाद फिल्मों के लिये गीत लिखने बंद कर दिये थे। वे नये संगीतकार के साथ वैसा सामंजस्य नहीं बिठा पा रहे थे।
राहत इंदौरी ने धर्मनिरपेक्ष रचनाकार बताया
प्रसिद्ध शायर राहत इंदौरी ने उन्हें धर्मनिरपेक्ष रचनाकार बताया और कहा कि उन्होंने हिंदू तथा उर्दू के मंचों पर सबके साथ ताजि़ंदगी मोहब्बत बांटी।
इंदौरी ने कहा, ‘नीरज के बारे में सबसे बड़ी बात यह है कि वह जितने नामचीन हिंदी कविता के मंचों पर थे, उन्हें उतनी ही शोहरत और मोहब्बत उर्दू शायरी के मंचों पर भी हासिल थी।Ó
कई सम्मान व पुरस्कार मिले
 नीरज को 1991 पद्मश्री से सम्मानित किया गया। इसके बाद 2007 में उन्हें पद्मभूषण सम्मान से नवाजा गया। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें यश भारती सम्मान भी मिला। नीरज को तीन बार फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला है।
ये हैं नीरज के यादगार गीत
1 लिखे जो ख़त तुझे, वो तेरी याद में, हज़ारों रंग के नज़ारे बन गएज् (फिल्म- कन्यादान)
2 खिलते हैं गुल यहां, खिल के बिखरने को (फिल्म :शर्मीली)
3 ओ मेरी ओ मेरी ओ मेरी शर्मीली (फिल्म : शर्मीली)
4 आज मदहोश हुआ जाए रे मेरा मनज् (फिल्म: शर्मीली)
5शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब, उसमें फिर मिलाई जाए थोड़ी सी शराब (फिल्म: प्रेम पुजारी)
6 रंगीला रे, तेरे रंग में यूं रंगा है मेरा मन, छलिया रे न बुझे है किसी जल से ये जलन (फिल्म: प्रेम पुजारी)
7 फूलों के रंग से, दिल की कलम से, तुझको लिखे रोज़ पाती (फिल्म: प्रेम पुजारी)
 8 चूड़ी नहीं ये मेरा दिल है, देखो-देखो टूटे ना (फिल्म: गैंबलर)
9 दिल आज शायर है, गम आज नगमा है शब ये गज़़ल है सनम (फिल्म: गैम्बलर)
10 ए भाई! जऱा देख के चलो, आगे ही नहीं पीछे भी (फिल्म: मेरा नाम जोकर)
11 बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं, आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं  (फिल्म: पहचान)
12 काल का पहिया घूमे रे भइया (फिल्म: चंदा और बिजली)
12 और हम खड़े खड़े बहार देखते रहे, कारवां गुजऱ गया गुबार देखते रहे (फिल्म: नई उमर की नई फसल)
नवीन शर्मा
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