कृषि विभाग की ने जारी की एडवाइजरी
Soybean Crop, (आज समाज), नई दिल्ली: भारत के कई राज्यों में सोयाबी की खेती की जाती है। सोयाबीन एक तिलहन फसल है। अबकी बार सोयाबीन की फसल को स्टेम फ्लाई नामक बीमारी ने चपेट में ले लिया है। स्टेम फ्लाई कीट मुख्य रूप से सोयाबीन के पौधों के तनों में सुरंग बनाकर रहता है। यह कीट खासतौर पर अंकुरण के बाद के 10 से 30 दिनों के बीच फसल पर हमला करता है। इससे पौधे की बढ़त रुक जाती है, पत्तियां पीली होने लगती हैं और समय से पहले झड़ने लगती हैं।
अगर संक्रमण ज्यादा होता है तो पौधे पूरी तरह सूख भी सकते हैं। स्टेम फ्लाई कीट का प्रकोप मुख्यरूप से मध्यप्रदेश के सीहोर जिले में दिखने को मिला है। विभिन्न गांवों और खेतों से मिली रिपोर्ट्स व कृषि विज्ञान केंद्र के फसल सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि यह कीट मध्यम से गंभीर स्तर तक फसल को प्रभावित कर रहा है। कृषि विभाग की ओर से फसल बचाव को लेकर एडवाइजरी जारी की है। इस लेख के जरिए हम बताएंगे कि आप अपनी फसल को इस कीट के प्रकोप से कैसे बचाए।
10 से 30 दिन की अवस्था में पौधों पर हमला करता है स्टेम फ्लाई कीट
स्टेम फ्लाई मुख्य रूप से सोयाबीन की फसल के अंकुरण से लेकर शुरूआती 10 से 30 दिन की अवस्था में पौधों पर हमला करता है। यह कीट पौधों के तनों के भीतर सुरंग बनाकर भोजन करता है जिससे पौधे की बढ़त रुक जाती है, पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और समय से पहले झड़ सकती हैं। अधिक संक्रमण होने पर पौधे मुरझाकर सूख भी सकते हैं।
लक्षण
कृषि विभाग ने स्टेम फ्लाई की पहचान के लिए अहम लक्षण बताए हैं। यह कीट तने के अंदर सुरंग बनाकर रहता है, जहां इसका लार्वा विकसित होता है। ऐसे में तने की ऊपरी त्वचा के नीचे सफेद रंग की सुरंग दिखाई देती है। पौधे की पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और झड़ सकती हैं। संक्रमित पौधे धीरे बढ़ते हैं या सूख जाते हैं। तना छीलने पर अंदर सुरंगनुमा मार्ग और कीट लार्वा नजर आता है।
बचाव के उपाय
- किसानों को चाहिए कि समय पर बुवाई करें, बहुत जल्दी या बहुत देर से बुवाई करने से बचें।
- फसल चक्र अपनाएं, एक ही खेत में हर साल सोयाबीन न उगाएं।
- बुवाई के लिए केवल स्वस्थ और प्रमाणित बीज का ही उपयोग करें।
- बुवाई से पहले बीजों को थायोमेथोक्साम 30% (10 मिली/किलोग्राम बीज) से बीजोपचार करें।
- वहीं बुवाई के बाद इसका प्रकोप होने पर रासायनिक नियंत्रण के उपाय किए जाने चाहिए।
- यदि स्टेम फ्लाई का प्रकोप 10 दिन से ज्यादा हो चुका है, तो इमिडाक्लोप्रिड 17.8%: 0.3 मिली/लीटर पानी की दर से या 150 मिली/हेक्टेयर में उपयोग करें।
- छिड़काव सुबह या शाम के समय करें। इसके अलावा फ्लोनिकैमिड 50%: 0.3 ग्राम/लीटर या 120 ग्राम/हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
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