प्रदोष काल में की जाती है भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा
Som Pradosh Vrat, (आज समाज), नई दिल्ली: प्रदोष व्रत प्रत्येक मास की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। आज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पड़ रही है। इसलिए आज प्रदोष व्रत रखा जाएगा। आज सोमवार के दिन प्रदोष व्रत होने के कारण इसे सोम प्रदोष व्रत का नाम दिया गया है। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। इसके लिए प्रदोष व्रत के लिए संध्या बेला (प्रदोष काल) का मुहूर्त देखा जाता है। प्रदोष काल सूर्यास्त से शुरू होता है। यह समय भगवान शिव की पूजा के लिए उत्तम माना जाता है। इस दौरान भगवान शिव और मां पार्वती की भक्ति भाव से पूजा की जाती है।

सोम प्रदोष व्रत पूजा विधि

  • प्रात: स्नान कर व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन निराहार रहें।
  • सायंकाल सूर्यास्त के बाद घर या शिव मंदिर में पूजा स्थल तैयार करें।
  • भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश और नंदी की मूर्तियाँ स्थापित करें।
  • दीपक जलाकर गंगाजल, बिल्वपत्र, दूध, धतूरा, और पुष्प अर्पित करें।
  • ॐ नम: शिवाय मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग का अभिषेक करें।
  • शिव-पार्वती की आरती करें और प्रदोष कथा का श्रवण करें।
  • रात्रि में फलाहार ग्रहण करें और ब्राह्मणों को दान दें।
  • यह व्रत न केवल भौतिक सुख देता है, बल्कि आत्मिक शांति का भी मार्ग प्रशस्त करता है।

सोम प्रदोष व्रत शुभ योग

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर हर्षण योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही प्रदोष व्रत पर रवि और शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है। शिववास योग के दौरान भगवान शिव कैलाश पर नंदी की सवारी करेंगे। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी।

प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

  • त्रयोदशी तिथि की शुरूआत: 03 नवंबर को सुबह 05 बजकर 07 मिनट पर
  • त्रयोदशी तिथि की समापन: 04 नवंबर को देर रात 02 बजकर 05 मिनट पर