प्रदोष काल में की जाती है भोले नाथ की पूजा
Pradosh Vrat, (आज समाज), नई दिल्ली: प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। मार्गशीर्ष मास का पहला प्रदोष व्रत आज यानी 17 नवंबर को रखा जाएगा। सोमवार के दिन पड़ने के कारण इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाएगा। देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए सोम प्रदोष व्रत विशेष रूप से फलदायी कहा गया है। धर्म शास्त्रों में प्रदोष व्रत की महिमा का वर्णन किया गया है। मार्गशीर्ष मास का पहला प्रदोष व्रत 17 नवंबर को है और यह सोमवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाएगा। अगर आप भी यह व्रत करने जा रहे हैं, तो आपको बताते हैं इसका महत्व और पूजा का मुहूर्त।
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, 17 नवंबर को प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 27 मिनट से लेकर शाम 8 बजकर 7 मिनट तक है। यह प्रदोष काल है, जो सूर्यास्त के बाद का समय होता है। प्रदोष काल के दौरान भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना विशेष शुभ माना गया है।
प्रदोष व्रत में शिवलिंग पर क्या चढ़ाना चाहिए?
प्रदोष व्रत के दौरान शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, और गन्ने के रस से अभिषेक करना चाहिए। साथ ही, ह्यॐ नम: शिवायह्ण मंत्र का जाप करते हुए बिल्व पत्र, धतूरा, और अन्य शिव को प्रिय चीजें चढ़ाएं और फिर धूप-दीप जलाकर शिव चालीसा और आरती करें।
प्रदोष काल में पूजा
प्रदोष काल में पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। प्रदोष व्रत के दिन मंदिर में की गई प्रदोष पूजा का फल 100 गुना अधिक मिलता है। प्रदोष व्रत में फलाहार ग्रहण करना चाहिए और अन्न नहीं खाना चाहिए।
सोम प्रदोष व्रत की विधि
- सुबह स्नान कर हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें।
- घर के मंदिर को साफ कर शाम के समय गोधूलि बेला में दीपक जलाएं।
- भगवान शिव का अभिषेक करें और सबसे पहले शुद्ध जल अर्पित करें।
- फिर दूध, दही, घी, शहद और शक्कर (पंचामृत) से अभिषेक करें।
- हर सामग्री चढ़ाते समय ॐ नम: शिवाय का जाप करना चाहिए।
- अंत में फिर से शुद्ध जल अर्पित कर चंदन, गुलाल और पुष्प चढ़ाएं।
- बेलपत्र और शमी पत्र अर्पित कर भोग में फल और मिठाई अर्पित करें।
- अंत में भगवान शिव की आरती करें और प्रदोष व्रत की कथा सुनें।
संतान सुख की होती है प्राप्ति
धार्मिक मान्यता के अनुसार, सोम प्रदोष व्रत मानसिक शांति, वैवाहिक सुख और पारिवारिक समृद्धि प्रदान करता है। ऐसा माना जाता है कि सोम प्रदोष व्रत रखने से संतान सुख की प्राप्ति होती है, दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है और चंद्र दोष से मुक्ति के लिए भी यह व्रत लाभकारी माना जाता है।