धार्मिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण माना गया है सूर्य ग्रहण
Sarvapitri Amavasya, (आज समाज), नई दिल्ली: साल का दूसरा सूर्य ग्रहण सर्वपितृ अमावस्या यानी 21 सितंबर को लगने जा रहा है। हालांकि यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, इसलिए सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। लेकिन एहतियात के तौर पर आप कुछ सावधानियां बरत सकते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि सूर्य ग्रहण के दौरान किन कार्यों को करने से आपको लाभ मिल सकता है।

कैसे लगता है सूर्यग्रहण

सूर्य ग्रहण को धार्मिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण माना गया है। जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है तो इस दौरान सूरज की रोशनी धरती तक नहीं पहुंती। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। इस दौरान कई तरह के नियमों का भी ध्यान रखा जाता है ताकि सूर्य ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव से बचा जा सके।

सूर्य ग्रहण की समाप्ति के बाद करें स्नान

सूर्य ग्रहण के दिन दान करने का विशेष महत्व माना गया है। सूर्य ग्रहण की समाप्ति के बाद आप हो सके तो किसी पवित्र नदी में स्नान करके दान आदि कर सकते हैं। यदि आपके आसपास कोई नदी नहीं है, तो ऐसे में घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।

क्षमता के अनुसार इन चीजों का करें दान

इसके बाद आप अपनी क्षमता के अनुसार, गरीब व जरूरतमंद लोगों को चना, गेहूं, गुड़, चावल, दाल, लाल रंग के वस्त्र और साबुत उड़द की दाल आदि का दान कर सकते हैं। इससे जातक को अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।

खाने-पीने की वस्तुओं में डाले तुलसी का पत्ता

हिंदू धर्म में यह माना गया है कि ग्रहण की अवधि में सूतक काल लगने पर वातावरण में नकारात्मक ऊर्जाओं का संचार बढ़ जाता है। ऐसे में इसके बुरे प्रभाव से बचने के लिए तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसे में आप खाने-पीने की वस्तुओं में तुलसी का पत्ता डाल सकते हैं।

इससे भोजन भी अपवित्र नहीं होता है और ग्रहण खत्म होने के बाद इस भोजन को खाया जा सकता है। सूर्य ग्रहण समाप्त होने के बाद तुलसी के पत्ते का सेवन भी कर सकते हैं।

गायत्री मंत्र व महामृत्युंजय मंत्र का करें जाप

सूर्य ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ जैसे कार्य नहीं किए जाते। इसके स्थान पर सूर्य ग्रहण के दौरान भगवान विष्णु का ध्यान करके उनके मंत्रों का जप कर सकते हैं। इसी के साथ सूर्य ग्रहण के दौरान गायत्री मंत्र व महामृत्युंजय मंत्र का जप करना भी लाभकारी माना गया है। इससे आपके ऊपर देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है।