दशमी तिथि को धर्म, सदाचार और शांति की प्रतीक तिथि माना गया है
Pitru Paksha Dashami Tithi, (आज समाज), नई दिल्ली: पितृ पक्ष की दशमी तिथि को उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है, जिनका देहांत दशमी तिथि को हुआ हो। दशमी तिथि पर किया गया श्राद्ध पितरों को शांति देने के साथ-साथ घर-परिवार में मानसिक शांति और चित्त की स्थिरता प्रदान करता है। दशमी तिथि को धर्म, सदाचार और शांति की प्रतीक तिथि माना गया है। आइए जानते हैं पितरों को प्रसन्न करने की विधि और कुतुप मुहूर्त।

कुतुप काल श्राद्ध व तर्पण करने के लिए शुभ

दिवंगत पूर्वजों का तर्पण और पिंडदान करने से वे तृप्त होते हैं और परिवार पर आशीर्वाद बरसाते हैं। साथ ही दोष और चिंताओं से परिजनों को पितरों की कृपा से मुक्ति मिलती है। पितृ पक्ष में कुतुप काल को श्राद्ध व तर्पण करने के लिए शुभ मुहूर्त माना जाता है, इस मुहूर्त का संबंध सीधे पितरों से माना जाता है।

दशमी श्राद्ध अनुष्ठान तिथि

  • दशमी तिथि प्रारंभ: 16 सितंबर, सुबह 1 बजकर 31 मिनट से।
  • दशमी तिथि समापन: 17 सितंबर, सुबह 12 बजकर 21 मिनट तक।

कुतुप काल का मुहूर्त

  • कुतुप मुहूर्त: आज दोपहर 12 बजकर 9 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक।
  • रोहिणी मुहूर्त : आज दोपहर 12 बजकर 58 मिनट से 1 बजकर 47 मिनट तक।
  • अपराह्न काल: आज दोपहर 1 बजकर 47 मिनट से 4 बजकर 13 मिनट तक

दशमी तिथि के श्राद्ध का महत्व

दशमी तिथि को धर्म, सदाचार और शांति की प्रतीक तिथि माना गया है। इस दिन किया गया श्राद्ध उन पितरों के लिए विशेष फलदायी होता है जिनकी मृत्यु दशमी तिथि को हुई हो। शास्त्रीय नियम के अनुसार, श्राद्ध उसी तिथि को करना श्रेष्ठ माना गया है जिस तिथि को पितृ का देहावसान हुआ हो।

मान्यता है कि इस दिन पितरों की आत्मा आसानी से आह्वान पर आती है और संतुष्ट होकर घर-परिवार की रक्षा करती है। दशमी तिथि का श्राद्ध करने से संतान सुख, आयु वृद्धि और परिवार में शांति का आशीर्वाद मिलता है.

दशमी तिथि के श्राद्ध में क्या करें

  • आज दशमी तिथि के मौके पर गंगा जल, तिल, जौ, कुश और चावल का उपयोग कर पिंडदान करना चाहिए।
  • आज दशमी को पितरों के नाम से अन्न, जल और दान शुद्ध मन से करें।
  • श्राद्ध दिन में मध्याह्न (अपरा काल) में करना श्रेष्ठ है।
  • पितरों की तृप्ति के लिए ब्राह्मणों को भोजन कराना और दक्षिणा देना शुभ माना गया है।
  • जरूरतमंदों को अन्न, कपड़े, छाता, जूते और दक्षिणा दान करने से पुण्य मिलता है।
  • श्राद्ध करने वाले परिवार को सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए।

किन बातों का रखें ध्यान

  • आज मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन और तामसिक भोजन से परहेज करें।
  • इस दिन झगड़ा, क्रोध, अपशब्द या अपवित्र आचरण नहीं करना चाहिए।
  • श्राद्ध कर्म दक्षिण दिशा की ओर मुख करके ही करना चाहिए, क्योंकि यह दिशा पितरों की मानी गई है।
  • श्राद्ध के दिन नाखून काटना, बाल कटवाना या नए कपड़े पहनना अशुभ माना गया है।
  • श्राद्ध कर्म हमेशा शास्त्रसम्मत विधि और पंडित की मार्गदर्शन में ही करना श्रेष्ठ होता है।