इन नियमों का पालन करने से मिल सकते है अच्छे परिणाम
Sarva Pitru Amavasya Tulsi Puja Niyam, (आज समाज), नई दिल्ली: आज पितृ पक्ष का समापन होने जा रहा है। पितृ पक्ष के आखिरी दिन यानी सर्वपितृ अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। हालांकि यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। सर्वपितृ अमावस्या वह तिथि है, जब पितृ अपने पितृलोक को वापस लौट जाते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि क्या सर्वपितृ अमावस्या के दिन तुलसी की पूजा की जा सकती है। वहीं अगर आप कुछ नियमों का ध्यान रखते हुए तुलसी से जुड़े ये काम करते हैं, तो इससे आपको अच्छे परिणाम भी मिल सकते हैं।
तुलसी पूजा करना शुभ अशुभ
सर्वपितृ अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण का साया भी रहने वाला है। ऐसे में इस दिन पर तुलसी पूजा करना शुभ नहीं माना गया। इसके साथ ही इस दिन पर तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए और न ही तुलसी को स्पर्श करना चाहिए। ऐसा करने से आपको जीवन में नकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
धन से संबंधित समस्या होगी दूर
अगर आपको धन से संबंधित समस्याएं बनी हुई है, तो इसके लिए आप सर्वपितृ अमावस्या के दिन ये उपाय कर सकते हैं। इसके लिए एक पीले रंग का धागा या फिर लाल कलावा लेकर उसमें 108 गांठ लगाएं। इसके बाद इस धागे को तुलसी के गमले में बांध दें।
घी का दीपक जलाकर 7 बार करें परिक्रमा
इसके साथ ही आप सर्वपितृ अमावस्या की शाम को तुलसी के पास एक घी का दीपक जलाकर 7 बार परिक्रमा भी कर सकते हैं। ऐसा करने से साधक को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा की प्राप्ति होती है।
तुलसी माता के मंत्र
सर्वपितृ अमावस्या के दिन आपको तुलसी चालीसा के पाठ व तुलसी माता के मंत्रों का जप करने से लाभ मिल सकता है। इससे साधक को मां लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान विष्णु का भी आशीर्वाद मिलता है।
- महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
तुलसी गायत्री मंत्र
- ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात।।
तुलसी स्तुति मंत्र
- देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरै:
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।। - तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।। - लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।। - तुलसी नामाष्टक मंत्र
- वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।। - एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।
ये भी पढ़ें : महालया से होती है दुर्गा पूजा की शुरूआत, जानें क्यों खास है यह दिन