जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
Vrishchik Sankranti, (आज समाज), नई दिल्ली: ज्योतिष शास्त्र में भगवान सूर्य को ग्रहों का राजा कहा जाता है। भगवान सूर्य आत्मा, पिता, सम्मान, नेतृत्व, ऊर्जा आदि के कारक माने जाते हैं। भगवान सूर्य का निश्चित अवधि में एक राशि से दूसरी राशि में गोचर होता है। इसे भगवान सूर्य का राशि में प्रवेश करना कहा जाता है। जब भगवान सूर्य एक राशि से निकलते हैं और उनका दूसरी राशि में प्रवेश होता है, तो वो दिन संक्रांति के रूप में मनाया जाता है।

कब होती है वृश्चिक संक्रांति

इसी कड़ी में जब भगवान सूर्य तुला से निकलते हैं और उनका प्रवेश मंगल की राशि वृश्चिक में होता है, तो वृश्चिक संक्रांति मनाई जाती है। इस दिन भगवान सूर्य की विधि-विधान से पूजन की जाती है। भगवान को जल अर्पित किया जाता है। इस दिन स्नान-दान का भी महत्व बहुत होता है। हिंदू धर्म शास्त्रों में इस दिन के लिए कुछ विशेष नियम भी बताए गए हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस दिन करना और क्या नहीं करना चाहिए?

वृश्चिक संक्रांति डेट

पंचांग के अनुसार, भगवान सूर्य 16 नवंबर 2025 को तुला राशि से निकलेंगे, जिसके बाद उनका प्रेवश मंगल की राशि वृश्चिक में होगा। भगवान सूर्य का यही राशि परिवर्तन का क्षण ही वृश्चिक संक्रांति माना जाता है। इसलिए साल वृश्चिक संक्रांति का पावन पर्व 16 नवंबर, रविवार को मनाया जाएगा।

वृश्चिक संक्रांति शुभ मुहूर्त

संक्रांति के दिन स्नान, दान और पूजा-पाठ के लिए पुण्यकाल और महापुण्यकाल का समय श्रेष्ट और पुण्यदायी होता है। 16 नवंबर को सुबह 08 बजकर 02 मिनट से दोपहर 01 बजकर 45 मिनट तक वृश्चिक संक्रांति पुण्य काल रहेगा। इसकी अवधि कुल 5 घंटे 43 मिनट रहेगी। वहीं इस दिन 11 बजकर 58 मिनट से दोपहर 01 बजकर 45 मिनट तक वृश्चिक संक्रांति का महा पुण्य काल रहेगा। इसकी अवधि 01 घंटा 47 मिनट रहेगी। वृश्चिक संक्रांति का क्षण इस दिन दोपहर 01 बजकर 45 मिनट पर रहेगा।

वृश्चिक संक्रांति पर क्या करें

वृश्चिक संक्रांति पर उबटन करके स्नान करना बहुत लाभकारी है। इससे आत्म शुद्धि और पाप का नाश होता है। स्नान के बाद भगवान सुर्य को अर्घ्य दें। फिर विधि-विधान से उनकी पूजा करें। भगवान सूर्य के मंत्रों का जाप करें। इस दिन पुराने कपड़े, तिल, खिचड़ी, तेल और धन का दान करें। तिल, तिल के लड्डू और तिल से बने अन्य उत्पादों का सेवन करें। वृश्चिक संक्रांति विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा करें।

वृश्चिक संक्रांति पर क्या नहीं करें

इस दिन मांस, मछली, प्याज, लहसुन, शराब, और मसालेदार भोजन न खाएं। इस दिन आलस्य करने और क्रोध करने से बचें। अशुद्ध या बासी भोजन न करें। सूर्य को अर्घ्य दिए बिना भोजन न करें। इस दिन पेड़ न काटें। किसी का अपमान करके या गलत तरीके से दान न करें