EAM Jaishankar On Neighbours, (आज समाज), नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि पड़ोसी देशों से अपने संबंधों के मामले में हर समय सहजता की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। पड़ोसियों के साथ हमेशा रिश्ते आसान नहीं होते। विदेश मंत्री ने जोर देकर यह भी कहा कि नई दिल्ली ने शासन व्यवस्था से इतर रिश्तो में अंतर्निहित स्थिरता बनाने के मकसद से सामूहिक हित बनाने की कोशिश की है।
मिलकर रहेंगे तो पड़ोसी को लाभ ही होगा
जयशंकर ने एक कार्यक्रम के दौरान एक रणनीतिक विशेषज्ञ के साथ बातचीत में कहा, हमारे हर पड़ोसी को यह बात समझनी चाहिए कि अगर वे भारत के साथ मिलकर काम करें तो उन्हें फायदा ही होगा। ऐसा न करने पर उन्हें कीमत चुकानी पड़ेगी। उन्होंने कहा, कुछ लोगों को यह समझने में ज्यादा समय लगता है, जबकि कुछ इसे अच्छी तरह समझते हैं।
पाकिस्तान ने सेना के तहत परिभाषित की है अपनी पहचान
विदेश मंत्री ने बताया कि भले एक अपवाद पाकिस्तान है। इसकी वजह यह कि उसने सेना के तहत अपनी पहचान परिभाषित की है। एक तरह से पाकिस्तान में अंतर्निहित शत्रुता है, इसलिए अगर आप पाकिस्तान को एक साइड रख दें, तो यह तर्क हर जगह लागू होगा।
अमेरिका व चीन के रुख में परिवर्तन पर यह बोले विदेश मंत्री
बीते 11 वर्ष में अमेरिका व चीन के रुख में आए बदलावों तथा नई दिल्ली द्वारा इस परिवर्तन को कैसे देखे जाने के सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा, अमेरिका में अनिश्चितता है, इसलिए एक व्यवस्थित स्तर पर, आप इसे यथासंभव ज्यादा से ज्यादा संबंधों के साथ स्थिर करते हैं। जहां चीन का सवाल है, यदि आपको इस देश के सामने खड़ा होना है तो हमने बहुत कठिन दौर देखा है और क्षमताओं को तैयार करना महत्वपूर्ण है।
गलवान झड़प के बाद चीन के साथ संबंधों में काफी गिरावट
विदेश मंत्री ने बताया कि जून-2020 में लद्दाख स्थित गलवान घाटी में भारत व चीन की सेनाओं के बीच हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी गिरावट आई। यह घटना दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था। उन्होंने कहा कि भारत की चीन नीति के वास्तव में हैरान करने वाले पहलुओं में से एक पिछले दशकों में हमारे सीमावर्ती बुनियादी ढांचे की पूरी तरह से उपेक्षा थी।
अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए एलएसी पर खड़े
जयशंकर ने कहा, आज हम अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए एलएसी पर खड़े हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि हमने इसे संभव बनाने के लिए सीमावर्ती बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 11 वर्षों में भारत के पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को गहरा करने और खाड़ी देशों तक पहुंच बढ़ाने के साथ-साथ आसियान और इंडो-पैसिफिक क्षेत्रों के साथ संबंधों को गहरा करने के बारे में भी विस्तार से बात की।
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