अमेरिकी टैरिफ बेअसर, रूस से भारत को एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम भी जल्द मिलेेंगे

Business News Hindi (आज समाज), बिजनेस न्यूज : रूस से रिश्ते खत्म करने के लिए अमेरिका ने भारत पर भारी भरकम टैरिफ लगाया था। अमेरिका को उम्मीद थी कि इतना ज्यादा टैरिफ देखकर भारत घबरा जाएगा और रूस से व्यापार कम करके अमेरिकी खेमे में चला जाएगा लेकिन इस सबके उलट एससीओ समिट में भारत और रूस ने आपसी रिश्तों को मजबूत करने और भविष्य की चुनौतियों का मिलकर सामना करने का वादा किया।

इसी बीच अब एक मीडिया रिपोर्ट के हवाले से खबर है कि भारत द्वारा रूस से खरीदे जा रहे कच्चे तेल पर जल्द ही और ज्यादा रियायत मिल सकती है। साथ ही भारत और रूस से और एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम भी मिल सकते हैं।अमेरिका द्वारा भारत पर टैरिफ दबाव बनाने के बीच ये रूसी राष्ट्रपति पुतिन का भारत के लिए तोहफा माना जा रहा है। भारत पहले ही रूस से डिस्काउंट पर तेल खरीद रहा है और अब और ज्यादा डिस्काउंट मिलने से भारत का काफी पैसा बचेगा।

कच्चे तेल पर रियायत से मिलेगी बड़ी राहत

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यूराल क्रूड की कीमत अब ब्रेंट क्रूड की तुलना में 3-4 डॉलर प्रति बैरल कम हो सकती है। सितंबर के अंत में और अक्तूबर माह में इस छूट का लाभ मिल सकता है। बीते हफ्ते यह छूट 2.50 डॉलर प्रति बैरल थी और जुलाई माह में यह 1 डॉलर प्रति बैरल थी। बीते महीने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया था, जिनमें से 25 प्रतिशत टैरिफ रूस से कच्चा तेल खरीदने के लिए लगाया गया था। अमेरिका का आरोप है कि भारत के रूस से कच्चा तेल खरीदने से यूक्रेन युद्ध को वित्तपोषण मिल रहा है। टैरिफ से भारत पर आर्थिक दबाव पड़ा है, लेकिन अब अगर रूस से कच्चे तेल पर और ज्यादा रियायत मिलती है तो यकीनन इससे भारत पर पड़ रहा आर्थिक दबाव कुछ हद तक कम होगा।

भारत रूस से प्रति दिन 1.7 मिलियन बैरल तेल खरीद रहा

2021 से इराक और सऊदी अरब से तेल की सप्लाई में लगभग 5% की कमी आई है। 2021 वह साल था जब यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ था। इस दौरान यूएई से सप्लाई 3% बढ़ी है। इसके विपरीत छोटे सप्लायरों से होने वाली सप्लाई पर असर पड़ा है। अमेरिका से सप्लाई एक तिहाई कम हो गई है। नाइजीरिया और कुवैत से शिपमेंट आधे हो गए हैं। ओमान और मैक्सिको से शिपमेंट 80% से ज्यादा गिर गए हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि 2021 में भारत का रोजाना तेल आयात 40 लाख बैरल था। इसमें रूस की हिस्सेदारी महज 100,000 बैरल थी। 2022 में रूस से रोजाना सप्लाई 1.76 मिलियन बैरल पहुंच गई। 2025 में रूस अभी भी टॉप पर है। रूस रोजाना औसतन लगभग 1.7 मिलियन बैरल की सप्लाई कर रहा है।

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