होगी बंपर पैदावार, अधिक मुनाफा भी होगा
Mustard Farming, (आज समाज), नई दिल्ली: सरसों की खेती भारत में एक महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि है, खासकर उन किसानों के लिए जो तेल के उत्पादन के लिए उपयुक्त फसल की तलाश में रहते हैं। इसी कड़ी में आरएच-30 सरसों की किस्म ने अपनी खासियत और बेहतर उत्पादन के कारण किसानों के बीच खास पहचान बनाई है। यह किस्म हल्की और मध्यम मिट्टी के लिए विशेष रूप से उपयोगी है और इसे लगाने का तरीका भी सरल है। इस खबर में हम आरएच-30 सरसों की खासियत, पैदावार और बुवाई के सही समय और तरीके पर चर्चा करेंगे।

आरएच-30 सरसों की खासियत

आरएच-30 सरसों की सबसे बड़ी खासियत इसका मोटा और मजबूत बीज है। बीज की यह विशेषता फसल को बेहतर अंकुरण और विकास में मदद करती है। इसके अलावा, आरएच-30 की एक अन्य महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि पकने के दौरान इसकी फलियां झड़ती नहीं हैं।

फलियों का न झड़ना फसल की कुल उपज को बनाए रखने में सहायक होता है, जिससे किसान अधिक उत्पादन प्राप्त कर पाते हैं। इस किस्म को खास तौर पर हल्की मिट्टी और कम पानी वाले क्षेत्र के लिए विकसित किया गया है, जहां अन्य किस्में उतनी अच्छी पैदावार नहीं दे पातीं।

सरसों की पैदावार और तेल की मात्रा

आरएच-30 सरसों की पैदावार अन्य किस्मों की तुलना में अधिक होती है। औसतन, इस किस्म से 8 से 9 क्विंटल प्रति एकड़ तक सरसों की उपज प्राप्त की जा सकती है। यह उपज किसानों के लिए आर्थिक रूप से लाभदायक साबित होती है। इसके अलावा, आरएच-30 में तेल की मात्रा लगभग 40% तक होती है, जो इसे तेल उत्पादन के लिए उपयुक्त बनाती है। तेल की अच्छी मात्रा होने के कारण इस किस्म की मांग बाजार में भी अच्छी रहती है।

बुवाई का सही समय और तरीका

आरएच-30 सरसों की बुवाई के लिए किसानों के पास दो विकल्प होते हैं झ्र अगेती (जल्दी) और पिछेती (देर से)। अगेती बुवाई का मतलब है कि फसल को समय से पहले बोना, जबकि पिछेती बुवाई समय से थोड़ी देर से की जाती है।

आरएच-30 की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे नवंबर के अंत तक बोया जा सकता है। इसके साथ ही, पिछेती बुवाई में इस किस्म की पैदावार और भी अधिक होती है, जिससे किसान बेहतर लाभ उठा सकते हैं। पकने का समय लगभग 135-140 दिन होता है, जो कि मध्यम अवधि की फसल मानी जाती है।

आरएच-30 की खेती के लिए सुझाव

  • मिट्टी की तैयारी: आरएच-30 सरसों की खेती के लिए हल्की और मध्यम मिट्टी उपयुक्त होती है। अच्छी ढंग से जुताई करके मिट्टी को साफ और ढीला करें।
  • बीज की गुणवत्ता: बीज मोटा और स्वस्थ होना चाहिए, जिससे अंकुरण दर बेहतर हो। बीज को बुवाई से पहले 6-8 घंटे पानी में भिगोना फायदेमंद होता है।
  • सिंचाई: यह किस्म कम पानी में भी अच्छी तरह उग जाती है, लेकिन शुरूआती दौर में नियमित सिंचाई फसल के विकास के लिए जरूरी है।
  • खाद और उर्वरक: उचित मात्रा में जैविक और रासायनिक उर्वरक का उपयोग करें जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहे और फसल स्वस्थ रहे।
  • रोग और कीट प्रबंधन: नियमित निरीक्षण करें और जरूरत पड़ने पर उचित कीटनाशक का उपयोग करें ताकि फसल सुरक्षित रहे।

हल्की और मध्यम मिट्टी में अच्छी पैदावार

आरएच-3030 सरसों की किस्म उन किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है जो हल्की और मध्यम मिट्टी में अच्छी पैदावार और तेल की गुणवत्ता चाहते हैं।

इसकी विशेषताएं जैसे मोटा बीज, फलियों का न झड़ना, कम पानी में उगने की क्षमता और बेहतर उत्पादन इसे बाजार में लोकप्रिय बनाती हैं। साथ ही, इसकी बुवाई का लचीलापन (अगेती और पिछेती दोनों) किसानों के लिए सुविधा प्रदान करता है।