(Rewari News) रेवाड़ी। कृषि महाविद्यालय बावल में वनवासी कल्याण आश्रम हरियाणा द्वारा संचालित छात्रावास के पूर्वोत्तर राज्यों से आकर शिक्षण-संस्कार ग्रहण कर रहे बाल गोपालों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुतियों से पूर्वोत्तर की संस्कृति का परिचय कराया। पूर्वोत्तर के छात्रों ने हरियाणवी नृत्य प्रस्तुत कर सभी दर्शकों का मन मोह लिया। आज प्रातः ये छात्र नगर में पहुंचे और दो-दो की टोली में विभिन्न परिवारों में ठहराने की व्यवस्था की गई, जिससे वे हरियाणवी संस्कृति को समझ सकें।

कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि ममता यादव, सदस्य हरियाणा लोक सेवा आयोग ने अपने संबोधन में कहा कि पूर्वोत्तर भारत की संस्कृति अत्यंत समृद्ध और प्रेरणादायक है। उन्होंने छात्राओं को उनके उत्साह और अनुशासन के लिए सराहा तथा वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा संचालित सेवा कार्यों की सराहना की।

ज देशभर में 22000 से अधिक सेवा प्रकल्प चला रही

उन्होंने समाज के सक्षम वर्ग से ऐसे प्रयासों में सक्रिय भागीदारी निभाने की अपील की। कार्यक्रम के दौरान मुख्य वक्ता सुरेंद्र शर्मा ने वनवासी कल्याण आश्रम की स्थापना (1952) एवं उसकी प्रेरणा पर संक्षिप्त प्रकाश डालते हुए बताया कि संस्था आज देशभर में 22000 से अधिक सेवा प्रकल्प चला रही है, जिनसे लगभग 2 करोड़ वनवासी बंधु लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने पद्मश्री से सम्मानित चेतराम पंवार जी का उल्लेख करते हुए प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया।
हरियाणा जैसे गैर-वनवासी क्षेत्र में भी भिवानी और फरीदाबाद में पूर्वोत्तर छात्रों के लिए छात्रावास चलाए जा रहे हैं। इन छात्रावासों में छात्रों को निशुल्क आवास, भोजन, शिक्षा और संस्कार की सुविधाएं दी जाती हैं।

साथ ही अन्य राज्यों जैसे झारखंड, केरल व उड़ीसा में संचालित प्रकल्पों के लिए हरियाणा के समाजसेवियों का योगदान सराहनीय है। कार्यक्रम की अध्यक्षता विनोद के. बापना कार्यकारी निदेशक व महाप्रबंधक, कपारो मारुति लिमिटेड ने की। मुख्य अतिथि डॉ. बी.आर. काम्बोज कुलपति, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार ने वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यों की सराहना करते हुए समाज से अपील की, राष्ट्र निर्माण के इस प्रयास में संस्था को अधिकाधिक सहयोग दें।

इस अवसर पर अनुज सूद उपाध्यक्ष, होडा आर एंड दी इंडिया, अमलेश चटर्जी मुख्य परिचालन प्रबंधक, एक्साइड इंडिया, बावल सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति मंचासीन रहे।

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