Repo Rate Change : RBI ने हाल ही में के बड़ा फैसला लिया है जिसका फायदा लोगो हो होने वाला है।RBI ने रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत की और कटौती की गई है। जिससे प्रभाव ब्याज दरों पर पड़ेगा और ब्याज दरों में कटौती होगी। इस तरह फरवरी से अब तक रेपो रेट में कुल एक प्रतिशत की कटौती हो चुकी है।
उम्मीद है कि बैंक भी ग्राहकों को पूरा लाभ देंगे और अपने लोन की ब्याज दरों में भी उतनी ही कटौती करेंगे। इस फैसले से सबसे ज्यादा फायदा रियल एस्टेट सेक्टर को होगा। स्टील और सीमेंट समेत करीब 200 सेक्टर रियल एस्टेट से जुड़े हैं, ऐसे में अगर रियल एस्टेट को बढ़ावा मिलता है तो पूरी अर्थव्यवस्था को बड़ा बढ़ावा मिलेगा। किफायती और मध्यम आय वाले हाउसिंग सेगमेंट में मांग बढ़ेगी।
रेपो रेट 5.5 प्रतिशत
प्रॉपर्टी कंसल्टेंट एनारॉक ग्रुप के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि उम्मीद के मुताबिक रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत की कटौती कर इसे 5.5 प्रतिशत कर दिया है। हाल के महीनों में महंगाई में आई गिरावट के चलते RBI ने यह कदम उठाया है। इससे लोन सस्ते होंगे, होम लोन की EMI कम होगी और कुल मिलाकर घर खरीदने वालों की सामर्थ्य में सुधार होगा।
इससे रियल एस्टेट सेक्टर में मांग बढ़ने की उम्मीद है, खासकर किफायती आवास की मांग और मध्यम आय वाले घर खरीदने वालों के सेगमेंट में। महामारी के बाद किफायती आवास सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। देश के सात बड़े शहरों में इनकी बिक्री और नए लॉन्च में गिरावट आई है।
ग्राहकों के साथ-साथ डेवलपर्स के लिए भी लोन सस्ते होंगे।
एनरॉक के डेटा से पता चलता है कि कुल घरों की बिक्री में किफायती आवास की हिस्सेदारी 2019 में 38% से गिरकर 2024 में 18% हो गई है। इनकी आपूर्ति भी 40% से गिरकर 16% हो गई है। उम्मीद है कि बैंक रेपो रेट में इस कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों को देंगे। इससे ग्राहकों के साथ-साथ डेवलपर्स के लिए भी लोन सस्ते होंगे।
बैंकिंग सिस्टम में बढ़ेगी लिक्विडिटी
कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में कमी से बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ेगी और बैंकों के पास लोन देने के लिए ज्यादा पैसा उपलब्ध होगा। रियल एस्टेट के लिहाज से डेवलपर्स को अपने प्रोजेक्ट के लिए ज्यादा पूंजी मिल सकती है। इससे उन्हें अपने प्रोजेक्ट समय पर पूरे करने में मदद मिलेगी, जिससे निर्माण कार्य में तेजी आएगी और अटके प्रोजेक्ट भी पटरी पर आ सकेंगे।
वैश्विक अनिश्चितता का लग्जरी और कमर्शियल प्रोजेक्ट पर असर
हालांकि, इन सभी सकारात्मक कदमों के बावजूद वैश्विक स्तर पर व्यापार में तनाव और अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए टैरिफ ने आयातित निर्माण सामग्री की कीमतों में बढ़ोतरी की है। इसके साथ ही आर्थिक अनिश्चितता भी बनी हुई है। इसका कुछ असर लग्जरी और कमर्शियल प्रोजेक्ट पर पड़ सकता है। इस सेगमेंट में डेवलपर का मार्जिन भी घटने की उम्मीद है, क्योंकि उत्पादन लागत बढ़ सकती है।
तीन बार में एक प्रतिशत की कटौती एक साहसिक और प्रगतिशील कदम
प्रॉपइक्विटी के संस्थापक और सीईओ समीर जसूजा के अनुसार, रेपो रेट में एक प्रतिशत और सीआरआर में तीन बार में एक प्रतिशत की कटौती एक साहसिक और प्रगतिशील कदम है। इन कदमों से लिक्विडिटी बढ़ेगी और लोन में वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में भारत की जीडीपी विकास दर चार तिमाहियों के उच्चतम स्तर 7.4% पर पहुंच गई।
खुदरा मुद्रास्फीति के आरामदायक दायरे में रहने के साथ, ब्याज दरों में भारी कटौती और लिक्विडिटी उपायों से खपत को बढ़ावा मिलेगा। इन दोनों उपायों से यह सुनिश्चित होगा कि ब्याज दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों तक शीघ्र पहुंचे, जिससे नए घर खरीदारों को आवास की बढ़ती कीमतों के प्रभाव से राहत मिलेगी और किफायती आवास क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा।
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