कन्या राशिफल 31 मई 2022

0
333
कन्या राशिफल 31 मई 2022

***|| जय श्री राधे ||***

***  महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
*** *** *** *** *** ***

दिनाँक:-31/05/2022, मंगलवार
प्रतिपदा, शुक्ल पक्ष
ज्येष्ठ
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल *** 

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

कन्या

आज का दिन आपके लिए निश्चित रूप से फलदायक रहेगा। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। भागदौड़ रहेगी। दु:खद समाचार मिल सकता है। धैर्य रखें। काम का बोझ कम करने के लिए जिम्मेदारियों को बाँटना आवश्यक है। आर्थिक कामों में परेशानी आने की संभावना है। दूसरों के काम में व्यर्थ मीनमेख निकालें। आपको अपनी किसी भी गलतफहमी को दूर करने का प्रयास करना होगा,नहीं तो वह आपके रिश्तों को खराब कर सकती हैं। संतान पक्ष की ओर से आपको कोई निराशाजनक समाचार सुनने को मिल सकता है,जो लोग विदेश जाकर पढ़ाई करना चाहते हैं,उनके लिए दिन उत्तम रहेगा। आपको अपने किसी मित्र की सेहत की चिंता सताएगी,जिसके बाद आप उनके लिए कुछ रुपयों का इंतजाम भी कर सकते हैं। आपको कामयाबी पाने के चक्कर में किसी के साथ गलत नहीं करना है,नहीं तो बाद में आपको पछताना पड़ेगा और आपको दूसरों को माफ करना भी सीखना होगा व फैसला लेते वक्त अपने दिल की अवश्य सुने।

 

तिथि——– प्रतिपदा 19:18:27 तक
पक्ष————————-शुक्ल
नक्षत्र———-रोहिणी 10:00:02
योग————–धृति 24:31:49
करण——- किन्स्तुघ्न 06:07:23
करण————–बव 19:18:27
वार———————–मंगलवार
माह————————- ज्येष्ठ
चन्द्र राशि——- वृषभ 23:28:44
चन्द्र राशि—————— मिथुन
सूर्य राशि——————– वृषभ
रितु————————–ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर) ——————-राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)———–2078
शाका संवत—————- 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:25:35
सूर्यास्त—————- 19:08:24
दिन काल————- 13:42:48
रात्री काल————- 10:16:58
चंद्रोदय—————- 05:45:18
चंद्रास्त—————- 20:08:17

लग्न—- वृषभ 15°23′ , 45°23′

सूर्य नक्षत्र—————– रोहिणी
चन्द्र नक्षत्र—————— रोहिणी
नक्षत्र पाया——————- लोहा

*** पद, चरण *** 

वु—- रोहिणी 10:00:02

वे—- मृगशिरा 16:44:06

वो—- मृगशिरा 23:28:44

*** ग्रह गोचर *** 

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
*** *** *** *** *** *** *** *** *** *** ***
सूर्य=वृषभ 15:12 रोहिणी , 2 वा
चन्द्र = वृषभ 21°23 , रोहिणी , 4 बु
बुध =वृषभ 02 ° 07′ कृतिका ‘ 2 ई
शुक्र=मेष 08°05, अश्विनी ‘ 3 चो
मंगल=मीन 10°30 ‘ उoभाo’ 3 झ
गुरु=मीन 09°30 ‘ उ o भा o, 2 थ
शनि=कुम्भ 01°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 27°30’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 27°30 विशाखा , 3 ते

*** मुहूर्त प्रकरण *** 

राहू काल 15:43 – 17:26 अशुभ
यम घंटा 08:51 – 10:34 अशुभ
गुली काल 12:17 – 13:59 अशुभ
अभिजित 11:50 -12:44 शुभ
दूर मुहूर्त 08:10 – 09:05 अशुभ
दूर मुहूर्त 23:15 – 24:10* अशुभ

चोघडिया, दिन
रोग 05:26 – 07:08 अशुभ
उद्वेग 07:08 – 08:51 अशुभ
चर 08:51 – 10:34 शुभ
लाभ 10:34 – 12:17 शुभ
अमृत 12:17 – 13:59 शुभ
काल 13:59 – 15:43 अशुभ
शुभ 15:43 – 17:26 शुभ
रोग 17:26 – 19:08 अशुभ

चोघडिया, रात
काल 19:08 – 20:26 अशुभ
लाभ 20:26 – 21:43 शुभ
उद्वेग 21:43 – 22:59 अशुभ
शुभ 22:59 – 24:17* शुभ
अमृत 24:17* – 25:34* शुभ
चर 25:34* – 26:51* शुभ
रोग 26:51* – 28:08* अशुभ
काल 28:08* – 29:25* अशुभ

होरा, दिन
मंगल 05:26 – 06:34
सूर्य 06:34 – 07:43
शुक्र 07:43 – 08:51
बुध 08:51 – 09:59
चन्द्र 09:59 – 11:08
शनि 11:08 – 12:17
बृहस्पति 12:17 – 13:26
मंगल 13:26 – 14:34
सूर्य 14:34 – 15:43
शुक्र 15:43 – 16:51
बुध 16:51 – 17:59
चन्द्र 17:59 – 19:08

होरा, रात
शनि 19:08 – 19:59
बृहस्पति 19:59 – 20:51
मंगल 20:51 – 21:43
सूर्य 21:43 – 22:34
शुक्र 22:34 – 23:25
बुध 23:25 – 24:17
चन्द्र 24:17* – 25:08
शनि 25:08* – 25:59
बृहस्पति 25:59* – 26:51
मंगल 26:51* – 27:43
सूर्य 27:43* – 28:34
शुक्र 28:34* – 29:25

*** उदयलग्न प्रवेशकाल *** 

वृषभ > 03:46 से 05:44 तक
मिथुन > 05:44 से 07:57 तक
कर्क > 07:57 से 10:14 तक
सिंह > 10:14 से 12:22 तक
कन्या > 12:22 से 14:38 तक
तुला > 14:38 से 16:53 तक
वृश्चिक > 16:53 से 19:14 तक
धनु > 19:14 से 21:14 तक
मकर > 21:14 से 23:00 तक
कुम्भ > 11:00 से 00:33 तक
मीन > 00:33 से 02:00 तक
मेष > 02:00 से 03:46 तक

विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

1 + 3 + 1 = 5 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान *** 

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

सूर्य ग्रह मुखहुति

 शिव वास एवं फल -:

1 + 1 + 5 = 7 ÷ 7 = 0 शेष

शमशान वास = मृत्यु कारक

भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

*** विशेष जानकारी *** 

*श्री गंगा दशाश्वमेध घाट स्नान प्रारम्भ

*विश्व धूम्रपान निषेध दिवस

* करबीर व्रत

*** शुभ विचार *** 

शान्तितुल्यं तपो नास्ति न सन्तोषात्परं सुखम् ।
न तृष्णया परो व्याधिर्न च धर्मो दया परः ।।
।। चा o नी o।।

एक संयमित मन के समान कोई तप नहीं. संतोष के समान कोई सुख नहीं. लोभ के समान कोई रोग नहीं. दया के समान कोई गुण नहीं.

*** सुभाषितानि *** 

गीता -: दैवासुरसम्पद्विभागयोग अo-16

तस्माच्छास्त्रं प्रमाणं ते कार्याकार्यव्यवस्थितौ।,
ज्ञात्वा शास्त्रविधानोक्तं कर्म कर्तुमिहार्हसि॥,

इससे तेरे लिए इस कर्तव्य और अकर्तव्य की व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण है।, ऐसा जानकर तू शास्त्र विधि से नियत कर्म ही करने योग्य है॥,24॥,

*** आपका दिन मंगलमय हो *** 
****************************
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

SHARE