वृषभ राशिफल 29 जून 2022

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***|| जय श्री राधे ||***

*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
********************

दिनाँक:-29/06/2022, बुधवार
चतुर्दशी, कृष्ण पक्ष,
आषाढ़
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

** दैनिक राशिफल **

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

वृषभ 

आज का दिन आपके प्रभाव और प्रताप में वृद्धि लेकर आएगा। नौकरी में कार्यरत लोग अपने अधिकारियों का दिल जीतने में कामयाब रहेंगे, जिसके कारण उनके आत्मसम्मान में भी वृद्धि होगी। पूजा-पाठ व सत्संग में मन लगेगा। आत्मशांति रहेगी। कोर्ट व कचहरी के कार्य अनुकूल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। मातहतों का सहयोग मिलेगा। किसी सामाजिक कार्यक्रम में भाग लेने का अवसर प्राप्त हो सकता है। दूसरे के काम में दखल न दें। जो लोग विदेश जाकर शिक्षा ग्रहण करना चाहते हैं, उन्हें यह मौका आज मिल सकता है। आपकी किसी नई संपत्ति की अभिलाषा पूरी होगी, लेकिन आपके कुछ शत्रु आपकी तरक्की देखकर परेशान रहेंगे। विद्यार्थियों को अपने कमजोर विषयों पर अत्यधिक मेहनत करनी होगी, तभी वह सफलता हासिल कर सकेंगे। बिजनेस कर रहे लोगों को यदि किसी से सलाह लेनी पड़े, तो किसी अनुभवी व्यक्ति से लेना बेहतर रहेगा।

तिथि——–अमावस्या 08:21:16 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र———– आर्द्रा 22:07:21
योग————– वृद्वि 08:48:23
करण———— नाग 08:21:17
करण——–किन्स्तुघ्न 21:35:38
वार———————— बुधवार
माह———————— आषाढ
चन्द्र राशि——————- मिथुन
सूर्य राशि——————- मिथुन
रितु————————- ग्रीष्म
सायन———————— वर्षा
आयन——————- उत्तरायण
सायन——————दक्षिणायण
संवत्सर———————–नल
संवत्सर (उत्तर) ——————राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शक संवत—————— 1944

*** वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:27:55
सूर्यास्त————— 19:17:22
दिन काल————- 13:49:27
रात्री काल———— 10:10:53
चंद्रोदय—————- 05:47:07
चंद्रास्त————— 19:48:06

लग्न—- मिथुन 13°6′ , 73°6′

सूर्य नक्षत्र——————– आर्द्रा
चन्द्र नक्षत्र——————- आर्द्रा
नक्षत्र पाया——————- रजत

*** पद, चरण ***

घ—- आर्द्रा 08:35:55

ङ—- आर्द्रा 15:21:45

छ—- आर्द्रा 22:07:21

के—- पुनर्वसु 28:52:39

*** ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=मिथुन 13:12 आर्द्रा , 2 घ
चन्द्र = मिथुन 11°23, आर्द्रा, 2 घ
बुध =वृषभ 24 ° 07′ मृगशिरा ‘ 1 वे
शुक्र=वृषभ 12°05, रोहिणी ‘ 1 ओ
मंगल=मेष 01°30 ‘ अश्विनी ‘ 1 चू
गुरु=मीन 12°30 ‘ उ o भा o, 3 झ
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 25°55’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 25°55 विशाखा , 2 तू

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 12:23 – 14:06 अशुभ
यम घंटा 07:12 – 08:55 अशुभ
गुली काल 10:39 – 12:23 अशुभ
अभिजित 11:55 – 12:50 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:55 – 12:50 अशुभ

*** चोघडिया, दिन
लाभ 05:28 – 07:12 शुभ
अमृत 07:12 – 08:55 शुभ
काल 08:55 – 10:39 अशुभ
शुभ 10:39 – 12:23 शुभ
रोग 12:23 – 14:06 अशुभ
उद्वेग 14:06 – 15:50 अशुभ
चर 15:50 – 17:34 शुभ
लाभ 17:34 – 19:17 शुभ

*** चोघडिया, रात
उद्वेग 19:17 – 20:34 अशुभ
शुभ 20:34 – 21:50 शुभ
अमृत 21:50 – 23:06 शुभ
चर 23:06 – 24:23* शुभ
रोग 24:23* – 25:39* अशुभ
काल 25:39* – 26:56* अशुभ
लाभ 26:56* – 28:12* शुभ
उद्वेग 28:12* – 29:28* अशुभ

*** होरा, दिन
बुध 05:28 – 06:37
चन्द्र 06:37 – 07:46
शनि 07:46 – 08:55
बृहस्पति 08:55 – 10:04
मंगल 10:04 – 11:14
सूर्य 11:14 – 12:23
शुक्र 12:23 – 13:32
बुध 13:32 – 14:41
चन्द्र 14:41 – 15:50
शनि 15:50 – 16:59
बृहस्पति 16:59 – 18:08
मंगल 18:08 – 19:17

*** होरा, रात
सूर्य 19:17 – 20:08
शुक्र 20:08 – 20:59
बुध 20:59 – 21:50
चन्द्र 21:50 – 22:41
शनि 22:41 – 23:32
बृहस्पति 23:32 – 24:23
मंगल 24:23* – 25:14
सूर्य 25:14* – 26:05
शुक्र 26:05* – 26:56
बुध 26:56* – 27:46
चन्द्र 27:46* – 28:37
शनि 28:37* – 29:28

*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***

मिथुन > 04:48 से 06:04 तक
कर्क > 06:04 से 08:28 तक
सिंह > 08:28 से 10:32 तक
कन्या > 10:32 से 12:48 तक
तुला > 12:48 से 15:03 तक
वृश्चिक > 15:03 से 17:18 तक
धनु > 17:18 से 19:28 तक
मकर > 19:28 से 21:10 तक
कुम्भ > 21:10 से 22:44 तक
मीन > 22:44 से 23:10 तक
मेष > 23:10 से 01:54 तक
वृषभ > 01:54 से 04:48 तक

*** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट— दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*** दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

*** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 15 + 4 + 1 = 35 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

सूर्य ग्रह मुखहुति

*** शिव वास एवं फल -:

30 + 30 + 5 = 65 ÷ 7 = 2 शेष

गौरि सन्नि*** = शुभ कारक

***भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

*** विशेष जानकारी ***

*देवकार्य अमावस्या

*काली पोशाक धारण श्रीराधावल्लभ जी

*** शुभ विचार ***

एदतर्थं कुलोनानां नृपाः कुर्वन्ति संग्रहम् ।
आदिमध्यावसानेषु न स्यजन्ति च ते नृपम् ।।
।। चा o नी o।।

राजा लोग अपने आस पास अच्छे कुल के लोगो को इसलिए रखते है क्योंकि ऐसे लोग ना आरम्भ मे, ना बीच मे और ना ही अंत मे साथ छोड़कर जाते है.

*** सुभाषितानि ***

गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18

त्याज्यं दोषवदित्येके कर्म प्राहुर्मनीषिणः ।,
यज्ञदानतपःकर्म न त्याज्यमिति चापरे ॥,

कई एक विद्वान ऐसा कहते हैं कि कर्ममात्र दोषयुक्त हैं, इसलिए त्यागने के योग्य हैं और दूसरे विद्वान यह कहते हैं कि यज्ञ, दान और तपरूप कर्म त्यागने योग्य नहीं हैं॥,3॥,

*आपका दिन मंगलमय हो*
********************
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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