कुम्भ राशिफल 12 मई 2022

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कुम्भ राशिफल 12 मई 2022

***|| जय श्री राधे ||***
*** महर्षि पाराशर पंचांग *** 
*** अथ पंचांगम् *** 
****ll जय श्री राधे ll****
*** *** *** *** *** *** 

दिनाँक:-11/05/2022, बुधवार
दशमी, शुक्ल पक्ष
वैशाख
*** *** *** *** *** *** *** *** (समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल *** 

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

कुंभ

आज का दिन आपके लिए उत्तम रूप से फलदायक रहेगा। दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। नौकरी में सहकर्मी साथ देंगे। व्यवसाय में जल्दबाजी से काम न करें। चोट व दुर्घटना से बचें। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। घर-बाहर स्थिति मनोनुकूल रहेगी। प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। वस्तुएं संभालकर रखें। आप लंबे समय बाद अपने डेली रूटीन में कुछ बदलाव करेंगे,जिसका आप लाभ भी अवश्य कमाएंगे। यदि आप कार्यक्षेत्र में भी कुछ परिवर्तन की योजना बना रहे हैं,तो वह आपके लिए लाभदायक रहेगा। सरकारी नौकरी से जुड़े जातकों को कोई नया कार्य सौंपा जा सकता है,जिसमें उन्हें जिम्मेदारियों को सावधानीपूर्वक निभाना होगा। सामाजिक क्षेत्रों में कार्यरत लोगों के कुछ नए शत्रु उत्पन्न हो सकते हैं जो आपको परेशान करने की कोशिश में लगे रहेंगे।

 

तिथि———– दशमी 19:30:43 तक
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र——पूर्वाफाल्गुनी19:26:35
योग———- व्याघात 19:23:00
करण————तैतुल 07:33:09
करण————– गर 19:30:43
वार———————— बुधवार
माह———————— वैशाख
चन्द्र राशि———सिंह 25:31:25
चन्द्र राशि—————— कन्या
सूर्य राशि———————- मेष
रितु————————- वसंत
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर)——————-राक्षस
विक्रम संवत————— 2079
विक्रम संवत (कर्तक)———- 2078
शाका संवत—————- 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:34:11
सूर्यास्त—————- 18:57:19
दिन काल————- 13:23:07
रात्री काल———— 10:36:14
चंद्रोदय—————- 14:06:31
चंद्रास्त—————- 27:02:07

लग्न—- मेष 26°9′ , 26°9′

सूर्य नक्षत्र—————— भरणी
चन्द्र नक्षत्र————- पूर्वाफाल्गुनी
नक्षत्र पाया——————- रजत

*** पद, चरण *** 

टा—- पूर्वाफाल्गुनी 07:08:17

टी—- पूर्वाफाल्गुनी 13:18:52

टू—- पूर्वाफाल्गुनी 19:26:35

टे—- उत्तराफाल्गुनी 25:31:25

*** ग्रह गोचर *** 

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
*** *** *** *** *** *** *** *** ***
सूर्य=मेष 26:12 भरणी , 4 लो
चन्द्र =सिंह 19°23 , पू o फाo , 2 टा
बुध =वृषभ 10 ° 07′ रोहिणी ‘ 1 ओ
शुक्र=मीन 15 °05, उo भा o ‘ 4 ञ
मंगल=कुम्भ 25°30 ‘ पूoभाo’ 2 सो
गुरु=मीन 05°30 ‘ ऊ o भा o, 1 दू
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 28°40’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 28°40 विशाखा , 3 ते

*** मुहूर्त प्रकरण *** 

राहू काल 12:16 – 13:56 अशुभ
यम घंटा 07:15 – 08:55 अशुभ
गुली काल 10:35 – 12: 16अशुभ
अभिजित 11:49 -12:43 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:49 – 12:43 अशुभ

चोघडिया, दिन
लाभ 05:34 – 07:15 शुभ
अमृत 07:15 – 08:55 शुभ
काल 08:55 – 10:35 अशुभ
शुभ 10:35 – 12:16 शुभ
रोग 12:16 – 13:56 अशुभ
उद्वेग 13:56 – 15:37 अशुभ
चर 15:37 – 17:17 शुभ
लाभ 17:17 – 18:57 शुभ

चोघडिया, रात
उद्वेग 18:57 – 20:17 अशुभ
शुभ 20:17 – 21:36 शुभ
अमृत 21:36 – 22:56 शुभ
चर 22:56 – 24:15* शुभ
रोग 24:15* – 25:35* अशुभ
काल 25:35* – 26:55* अशुभ
लाभ 26:55* – 28:14* शुभ
उद्वेग 28:14* – 29:34* अशुभ

होरा, दिन
बुध 05:34 – 06:41
चन्द्र 06:41 – 07:48
शनि 07:48 – 08:55
बृहस्पति 08:55 – 10:02
मंगल 10:02 – 11:09
सूर्य 11:09 – 12:16
शुक्र 12:16 – 13:23
बुध 13:23 – 14:30
चन्द्र 14:30 – 15:37
शनि 15:37 – 16:43
बृहस्पति 16:43 – 17:50
मंगल 17:50 – 18:57

होरा, रात
सूर्य 18:57 – 19:50
शुक्र 19:50 – 20:43
बुध 20:43 – 21:36
चन्द्र 21:36 – 22:29
शनि 22:29 – 23:22
बृहस्पति 23:22 – 24:15
मंगल 24:15* – 25:08
सूर्य 25:08* – 26:01
शुक्र 26:01* – 26:55
बुध 26:55* – 27:48
चन्द्र 27:48* – 28:41
शनि 28:41* – 29:34

*** उदयलग्न प्रवेशकाल *** 

मेष > 03:16 से 04:58 तक
वृषभ > 04:58 से 06:58 तक
मिथुन > 06:58 से 09:06 तक
कर्क > 09:06 से 11:24 तक
सिंह > 11:24 से 13:40 तक
कन्या > 13:40 से 05:52 तक
तुला > 05:52 से 06:03 तक
वृश्चिक > 06:03 से 08:17 तक
धनु > 08:17 से 22:18 तक
मकर > 22:18 से 11:58 तक
कुम्भ > 11:58 से 01:44 तक
मीन > 01:40 से 03:16 तक

विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

10 + 4 + 1 = 15 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान *** 

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

शनि ग्रह मुखहुति

शिव वास एवं फल -:

10 + 10 + 5 = 25 ÷ 7 = 4 शेष

सभायां = संताप कारक

भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

*** विशेष जानकारी *** 

* महावीर कैवल्य ज्ञान (जैन)

***  शुभ विचार *** 

खलानां कण्टकानां च द्विविधैव प्रतिक्रिया ।
उपानद् मुखभङ्गो वा दूरतैव विसर्जनम् ।।
।। चा०नी०।।

काटो से और दुष्ट लोगो से बचने के दो उपाय है. पैर में जुते पहनो और उन्हें इतना शर्मसार करो की वो अपना सर उठा ना सके और आपसे दूर रहे ।

*** सुभाषितानि *** 

गीता -: दैवासुरसम्पद्विभागयोग अo-16

तेजः क्षमा धृतिः शौचमद्रोहोनातिमानिता।,
भवन्ति सम्पदं दैवीमभिजातस्य भारत॥,

तेज (श्रेष्ठ पुरुषों की उस शक्ति का नाम ‘तेज’ है कि जिसके प्रभाव से उनके सामने विषयासक्त और नीच प्रकृति वाले मनुष्य भी प्रायः अन्यायाचरण से रुककर उनके कथनानुसार श्रेष्ठ कर्मों में प्रवृत्त हो जाते हैं), क्षमा, धैर्य, बाहर की शुद्धि (गीता अध्याय 13 श्लोक 7 की टिप्पणी देखनी चाहिए) एवं किसी में भी शत्रुभाव का न होना और अपने में पूज्यता के अभिमान का अभाव- ये सब तो हे अर्जुन! दैवी सम्पदा को लेकर उत्पन्न हुए पुरुष के लक्षण हैं॥,3॥,

*** आपका दिन मंगलमय हो ***
*** *** *** *** *** *** *** *** 
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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