पराली जलाने पर लगेगी रोक, उद्योगों को मिलेगा फायदा

Punjab News (आज समाज), चंडीगढ़ : उत्तर भारत में हर साल धान सीजन के बाद सबसे बड़ी समस्या जो पैदा होती है वह होता है पराली का प्रबंधन। कोई ठोस प्रबंधन न होने के कारण किसान पराली के अवशेषों को आग से जलाकर नष्ट करते हैं जिससे वायु प्रदूषण अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच जाता है। हर साल यह समस्या सामने आती है। वहीं अब पंजाब सरकार ने इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए नई योजना पर काम करना शुरू किया है। यदि यह सफल रहती है तो भविष्य में जहां पराली का वैज्ञानिक तरीके से निष्पादन हो सकेगा वहीं वायु प्रदूषण कम करने में भी सहायता मिलेगी।

इस तरह काम करेगी नई योजना

एक ऐतिहासिक फैसला करते हुए औद्योगिक और व्यापार विकास नीति 2022 में संशोधन करके धान की पराली-आधारित बायलरों की स्थापना के लिए कैपिटल सब्सिडी की एक नई योजना की घोषणा की है। इससे किसानों की आय भी बढ़ेगी, पराली प्रबंधन भी होगा, पर्यावरण भी प्रदूषित नहीं होगा और सबसे बड़ी बात पंजाब के उद्योगों को भी इससे लाभ होगा। पंजाब भवन में उद्योग मंत्री तरुनप्रीत सिंह सौंद ने बताया कि धान की पराली-आधारित बायलरों की स्थापना के लिए कैपिटल सब्सिडी देने का फैसला 13 फरवरी 2025 को हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया था।

इस संबंध में अधिसूचना 20 फरवरी 2025 को जबकि सब्सिडी देने के नियमों के बारे में पत्र 23 अप्रैल 2025 को जारी हुआ। उन्होंने बताया कि जो मौजूदा उद्योग तेल या किसी अन्य बायोमास आधारित ईंधन का उपयोग कर रहे हैं, यदि वे धान की पराली-आधारित नए बॉयलरों की स्थापना करते हैं तो 1 करोड़ रुपये प्रति 8 टन प्रति घंटा बायलर या वास्तविक खर्च का 33 प्रतिशत, जो भी कम हो, की सब्सिडी मिलेगी। इसकी उच्चतम सीमा 5 करोड़ रुपये प्रति यूनिट है।

सरकार ने 60 करोड़ रुपये का बजट रखा

उन्होंने आगे बताया कि मौजूदा उद्योग यदि बायलरों का पराली-आधारित अपग्रेड करते हैं तो उन्हें पूंजी सब्सिडी 50 लाख रुपये प्रति 8 टन प्रति घंटा बायलर या वास्तविक खर्च का 33 फीसदी, जो भी कम हो, की सब्सिडी मिलेगी। इसकी उच्चतम सीमा ढाई करोड़ रुपये प्रति यूनिट है। उन्होंने कहा कि अधिक क्षमता वाले बायलरों को भी आनुपातिक तौर पर सब्सिडी का भुगतान किया जाएगा। उद्योग मंत्री ने आगे बताया कि विभाग के अनुमान के मुताबिक पंजाब के 500 से 600 उद्योग इस नीति के माध्यम से सब्सिडी प्राप्त करने के योग्य होंगे और लुधियाना के उद्योग को इसका बड़ा फायदा होगा क्योंकि वहां बायलर आधारित उद्योग बहुत अधिक है। यह सब्सिडी देने के लिए पंजाब सरकार ने 60 करोड़ रुपये का बजट रखा है।