कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ

Punjab News Update (आज समाज), चंडीगढ़। पंजाब में मिलेट्स यानि मोटा अनाज का उत्पादन कम होता जा रहा है। इसकी वजह कुछ और नहीं बल्कि सूबे के किसानों का इससे दूरी बनाना है। क्योंकि मिलेट्स की मांग गेहूं के मुकाबले कम होती है और अब किसान गेहूं के उत्पादन पर ही अपना जोर लगा रहे है।

यही वजह है कि ज्वार व रागी की खेती छोड़ने के बाद बाजरा का उत्पादन भी सिर्फ 1.07 हजार टन रह गया है जबकि पड़ोसी राज्य हरियाणा में स्थिति इससे काफी बेहतर है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में वर्ष 2024-25 में बाजरे का उत्पादन 1.07 हजार टन हुआ है जबकि पड़ोसी राज्य हरियाणा में 1251.94 हजार टन बाजरा का उत्पादन हुआ है।

रिपोर्ट में पेश किया गया पांच साल का डाटा

मंत्रालय ने मिलेट्स के उत्पादन को लेकर पिछले पांच साल का डाटा पेश किया है, जिसके अनुसार सूबे में वर्ष 2020-21 के दौरान बाजरे का 0.26 हजार टन उत्पादन हुआ था, जबकि वर्ष 2021-22 में यह उत्पादन 0.76 हजार टन रहा। इसी तरह वर्ष 2022-23 में उत्पादन और कम होकर 0.41 हजार टन पर सिमट गया जबकि वर्ष 2023-24 में मामूली बढ़ोतरी के साथ उत्पादन 0.55 हजार टन रहा। रिपोर्ट के अनुसार ज्वार और रागी की खेती तो सूबे के किसान पूरी तरह से छोड़ चुके हैं, जबकि हरियाणा में ज्वार का उत्पादन भी वर्ष 2024-25 में 9.78 हजार टन रहा है।

हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर मिलेट्स के उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है। देश में 2024-25 के दौरान कुल 180.15 लाख टन मिलेट्स का उत्पादन हुआ है जो पिछले वर्ष की तुलना में 4.43 लाख टन अधिक है। वहीं पंजाब में मिलेट्स का उत्पादन तब कम हो रहा है, जब केंद्र और राज्य सरकार फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने की बड़े-बड़े दावे करती है। केंद्र सरकार इसे लेकर विभिन्न परियोजनाओं पर काम भी कर रही है।

मार्केट डिमांड भी कम

मिलेट्स के प्रति लोगों में जागरूकता नहीं है, जिस कारण इसकी मार्केट डिमांड भी कम है। साथ ही धान और गेहूं की फसल की आसानी से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद हो जाती है। पंजाब में किसानों को पानी भी आसानी से उपलब्ध हो जाता है जिस कारण किसानों का जोर सिर्फ धान व गेहूं उगाने पर ही रहता है। ऐसे में किसान इन फसलों की बजाय दूसरी फसलों को उगाने पर जोर दे रहा है। क्योंकि इन फसलों की अपेक्षा दूसरी फसलों से किसानों को मुनाफा भी अधिक हो रहा है।

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